तुम सड़क पर जा रहे थे,
मैं बगल की वीथि पर;
तुम बहुत थे तेज,
मेरी चाल अतिशय मन्द थी।
और तब मैंने तुम्हें देखा ।
मगर, यह क्या हुआ?
पड़ गये मेरे चरण किस व्यूह में?
पाश था वह कौन जिसमें पाँव मेरे फंस गये?
चेतना यह भी नहीं थी जानती,
मैं तुम्हारे पास हूँ या दूर हूँ?
आज भी है वीथि पर मेरे चरण,
आज भी तो तुम सड़क पर जा रहे।
वीथि, लेकिन मन्दतर है मन्द से;
तुम निकलते जा रहे, लेकिन, सुरीले छन्द-से।