'समानांतर' अनूदित होते हुए भी नितान्त मौलिक होने वाली कालजयी कविताओं का अनूठा संकलन है, जो निश्चित ही पाठकों को पसंद आने की सामर्थ्य रखता है। एक मजेदार क़िस्सा सुनाते हुए दिनकरजी कहते हैं कि "कई वर्ष पहले की बात है, एक बार, शौक में आकर, मैंने कुछ विदेशी कविताओं के अनुवाद कर डाले और, ‘सीपी और शंख’ की कविताएँ अनुवाद नहीं, हिन्दी की मौलिक रचनाएँ हैं।
44 फ़ॉलोअर्स
31 किताबें