ट्रेन मे कर रहे थे सफर। खराटे की आवाज से नींद<
तू जरा देख जख्म दिल के मेरे,
जरा देख कहीं कोई फकीर नजर आता भी है क्या,
पंछियों ने पंख समेटे, चले नीड़ की ओर,
की संध्या हो चली है।
ले
आसमां की बस्ती में क़ाबिल उड़ान
जब जब लोगो पर हुए अत्याचार /
लोगो ने लगाई गुहार /
सर पर कफन बांधे /आया म