"घने अंधकार को चुनना काफ़ी आसान है !!
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किसान/ प्रशासन
अगर भूला भटका किसान को मिले तो उसे अपना साथी बनाकर खेतों के रास्ते ग
आईना भी वही दिखाता है। जो उसके सामने होता है ।
सुखे हुए पत्ते भी डाल से झड़ जाते है। जरूरत जब खत्म ह
एकता में बल, होता है; हर समस्या का हल, होता है। जब सामंजस्य की हो कमी; जीवन
जब कुछ नहीं था, तो चाह थी कुछ पाने की। अब सब कुछ है तो, डर है सब खो जा
जिदंगी के उस दो राहे पर खड़ा हूं । ना जी सकता हूं और न ही म
अब मरने का
मौत को कई बार करीब से देखा है ।
चेहरे पर लगे नकाब हट जायें तो । हर एक चेहरे से नफरत करने लगोगे ।<
चार किताबे क्या पढ़ ली। तो पड़े लिखे हो गये।
सब भाषा अच्छी है । सबसे तुम प्यार करों।
सरकार की बाते सरकार ही जाने। जनता तो है बेबस खड़ी । </
कि मैंने बस स्टैंड पर खड़े एक भूखे से पूछा कुछ खाओगे उसने मेरी तरफ देखा और कहा नहीं तुम वी