आप अमरपुरा में नाटक मंचन में सहयोग अवश्य करते थे. आप खुद कोई पात्र नहीं बनते थे किन्तु अन्य कार्य जैसे नाटक चयन, चंदा मांगने एवं देने में सहयोग करते थे. सर्वश्री परमेश्वर नारायण, भूपेंद्र सिंह, विजय कुमार, अजय कुमार, सुशांत कुमार, श्रीकांत, मंगल सिंह, जवाहर सिंह इत्यादि लोग गांव के सांस्क्रतिक कार्यक्रम में सहयोग करते थे.
आपकासांस्कृतिक रुझान सोहैपुर स्कूल में भी प्रदर्शित हुआ. सोहैपुर स्कूल में सरस्वती पूजा की रात नाटक खेला जाता था. श्री राम भजू प्रसाद प्रसाद प्रहसन में आगे रहते थे. किन्तु 1981 में छात्रों के बीच मार-पिट हो गई. जिसके बाद सरस्वती पूजा तो जारी रहा किन्तु नाटक मंचन बंद हो गया. इस लड़ाई के उकसावे में आपका भी नाम आया. आप उस दौरान घर-घर जाकर भी ट्यूशन पढ़ाया करते थे. आप बंधुआ रेलवे स्टेशन मास्टर जो कि पिछड़ा वर्ग से आते थे की दो लड़कियों को ट्यूशन पढ़ाते थे. उन लड़कियों को कुछ राजपूत के लड़के परेशान करते थे. आपको इसकी खबर मिली. आपने अन्याय के खिलाफ पिछड़ी जाति के लड़कों को लड़ाई के लिए उकसा दिए. उनलोगों ने नाटक की रात ही उन बदमाश लड़कों को पिट दिया.
आपके सहशिक्षक श्रधेय श्री राम भजू बाबू बताते हैं कि बरसौना के किसी लड़के को सेना में भर्ती के लिए 8 वीं पास का सर्टिफिकेट चाहिए था. आपने उनके कहने पर सर्टिफिकेट दे दिया. उस लड़के को नौकरी लग गई. किन्तु सर्टिफिकेट
के वेरिफिकेशन के लिए सेना के ऑफिस से स्कूल में कागजात आ गया. वेरिफिकेशन के लिए छठी से आठवीं तक रजिस्टर में इंट्री करनी थी. जिसे आप ने कर दिया. लड़के की नौकरी पक्की होने के बाद उसने दो किलो घी और दो हजार रुपये श्री भजू बाबू को दिया. श्री भजू बाबू ने उस पैसे को आपको देना चाहा तो आप ने साफ इंकार कर दिया. किन्तु आपने घी रख लिया | उस पैसे को लड़के को लौटा दिया गया | आप सभी का सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहते थे लेकिन बदले में धन का लालच नहीं था. आप मेहनत से प्राप्त धन पर ही विश्वास करते थे.
सोहैपुर के श्रधेय श्री सरयुग प्रसाद, जो आज पचासी वर्ष के हो चुके हैं, याद करते हुए बताते हैं कि आप हमेशा ही दुसरे को सहयोग प्रदान करने के लिए उपस्थित रहते थे एवं दुसरे को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करते थे. आपने उनके बेटे श्री विजय कुमार एवं भतीजा डा. संजय कुमार को भी पढ़ाया. यदि किसी को खेत खरीदना होता या बेटी की शादी करनी होती, आप अपने पास आने वालों की मदद जरुर करते थे |