ऐसा कहा जाये कि आपके अंदर बचपन से ही शिक्षक का गुण था तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. आप अपने छात्र जीवन से ही अपने दोस्तों को पढ़ाते रहते थे. आप अपने साले श्रधेय श्री शम्भू प्रसाद को भी पढ़ाया. वे बताते हैं कि जब वे 12 वीं में पढ़ते थे तो वे अपने जीजा श्री मुद्रिका प्रसाद के डेरा में मंदिरी, पटना में रहते थे. आपने श्री शम्भू प्रसाद को परीक्षा के समय कुछ महीने दिन-रात पढ़ाए थे. वे दिन में भी घर से बाहर नहीं निकलते थे.
सोहैपुर में आपने अनेक लोगों को अपने पास रखकर पढ़ाया. आपने शिक्षा देने में सभी को एक नजर से देखा. आपने अपने गांव के डॉक्टर महेंद्र प्रसाद के लड़के श्री अनिल कुमार को अपने पास रख कर पढ़ाया. आपने सोहैपुर के श्री सुरेन्द्र गिरी को भी निःशुल्क पढ़ाया और किताबे दी. आपने अपने भगिना श्री विजय कुमार, करंजा, साले श्री शशिकांत सिन्हा, गौड़ा-जगदीशपुर के श्री उमेश कुमार एवं श्री कमलेश कुमार को अपने पास रखकर पढ़ाया. श्री विजय कुमार, करंजा जो कि अभी बांकीपुर, पटना पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं, बताते हैं कि उनकी पढाई एवं तरक्की में आप का बहुत बड़ा योगदान है. वे जब पहली बार मैट्रिक का परीक्षा दिए, तो फेल हो गए. फेल होने पर बहुत लोग उन्हें दुत्कार रहे थे. इसी समय वे अपने ननिहाल
अमरपुरा आये और नरेश बाबू(आपसे) से मिले. आपने उनका हौसला बढाया और सोहैपुर बुला लिया. आपने उनको अपने निगरानी में पढ़ाया फिर वे मैट्रिक की परीक्षा पास हो गए. आपके शिष्यों में दो शिष्य बहुत प्यारे रहे हैं, एक मनियारा, राजगीर के श्री सुरेश प्रसाद दूसरा हदसा, नवादा के डा. संजय कुमार. आपने श्री सुरेश प्रसाद को अपने साथ में रखकर पढ़ाया, आर्थिक मदद दी एवं पढाई के बाद शादी भी कराई. आपने उन्हें पुरे परिवार के साथ अपने गया के मकान में बिना किराये
के रहने के लिए अनुमति प्रदान की. आपने डा. संजय कुमार को पढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी किया. आपके ही सलाह पर संजय कुमार नवीं कक्षा में दो साल पढाई किया. श्री संजय कुमार ने डॉक्टर बनने के बाद भी आपको हमेशा सम्मान दिया.
आप अपने बड़े और मंझले लड़कों को भी अपने पास सोहैपुर रखकर पढ़ाया. उन्हें आप छठी-सातवीं क्लास से अपने पास रखकर किताबी एवं व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया. जिसका परिणाम यह हुआ कि आपके अन्य दो छोटे बच्चे को भी पठन-पाठन में रूचि बढ़ी. और अंततः सभी बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं.
आपका सोहैपुर हाई स्कूल में काम करने से सोहैपुर गाँव को भी फायदा हुआ. सोहैपुर के श्री इन्द्रदेव प्रसाद हो या श्री नागेश्वर
पहलवान सभी को आपने आर्थिक मदद किया. स्कूल के सेक्रेटरी श्री किशोर बाबू के बच्चों को भी उनके घर जाकर ट्यूशन पढ़ाया. आपके सह-शिक्षक स्कूटर से चलने लगे. किन्तु आपके पास वही साईकिल. आप अपने पैसे से दुसरे की सहायता
करते किन्तु अपनी शान या सुविधा के लिए कोई खर्च नहीं किया. आपने सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत पर जीवन को जिया. आप अपने दोस्तों को घर-जमीन खरीदने के लिए कुछ धन उधार भी देते थे. किन्तु जब 1991 में आपने गया में जमीन ख़रीदा तो आप अपनी उपलब्ध पूंजी से ही करीब पौन कट्ठा जमीन ख़रीदा. आपने किसी से उधार नहीं लिया. “तेते पांव पसारिये जेती लम्बी सौर ” शिक्षा का पालन सर्वत्र किया.