इस समय रात के करीब पौने दस बजे थे. चारों तरफ सन्नाटा था. घर पर आपकी पत्नी और बेटी आपके सकुशल लौटने की भगवान से प्रार्थना कर रहे थे. किन्तु जैसे ही आपका निष्प्राण शरीर पहुंचा, घर पूरा अशांत हो गया. आपका प्यारा कुत्ता “सिपाही” भी चिल्लाने लगा. आस-पड़ोस से सभी लोग आ गए. उजाले की रात में रोने की आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी. करीब 12.30 बजे रात में आपके शिष्य श्री सुरेश प्रसाद भी आ गए. आपका छोटा लड़का भी अपनी पत्नी के साथ पहुँच गया. फिर सुबह में आपका बड़ा एवं मंझला लड़का सपरिवार पहुँच गया. सुबह-सुबह आपके सगे-संबंधी, आपके छोटे साले श्री शशिकांत सिन्हा एवं उनकी पत्नी, मंझले साले श्री शैलेश प्रसाद भी सपरिवार आ गए. आपके साली श्रीमती कल्याणी देवी, श्रीमती सोनापति देवी, श्रीमती कृष्णा देवी के अलावा बहुत लोग पहुँच गए थे. श्रीमती कालापति देवी , श्रीमती सिन्धु देवी, श्री मती रामेश्वरी देवी इत्यादि अनेक संबंधी उसी दिन सुबह आ गए थे |
आपके पार्थिव शरीर को नहलाने के बाद घर के दरवाजे पर उत्तर दिशा की तरफ सिर करके आपके ही आरोपुर मुसहर टोली के बांसवारी के बांस से बने पटरी पर वहीं लिटा दिया गया था, जहाँ छः साल पहले आपने अपनी माँ के पार्थिव शरीर को लिटाया था. जैसे जन्म लेते ही बच्चे कपड़े में लपेट कर उसके माँ के साथ लिटा दिया जाता है. निष्प्राण होते हुए भी आपके
जैसे चेहरे से मुस्कराहट प्रस्फुटित हो रही थी. ऐसा लग रहा था आप तुरंत ही उठकर कुछ आदेश देनेवाले हैं या ज्ञान की बात बतानेवाले हैं. ऐसा लग रहा था कि आप अपने माता और पिता से मिल रहे थे. आप माताजी से तो मात्र छः साल पहले मिले थे किन्तु आपका पिताजी से मिले हुए करीब तीस साल हो चुके थे. श्री अवधेश वर्मा, श्री शिवशंकर प्रसाद , श्री रामप्रवेश प्रसाद और अन्य लोगों ने मिलकर आपका अर्थी तैयार कर दिए थे. आपके पार्थिव शरीर पर कफ़न (हरिनामी) चढ़ाया गया. अनेक लोग अपने हाथ से कफ़न चढ़ा रहे थे. कुछ लोग आपके दाह-संस्कार में लगाने के लिए आपके बड़े लड़के को पैसे भी दे रहे थे. करीब साढ़े दस बजे आपके अंतिम संस्कार के लिए अर्थी को कंधे पर उठाया गया. आपके बेटे ने भी बारी-बारी से आपको कन्धा दिया. एक बार फिर घर परिवार के लोग जोर-जोर से रोने लगे थे. वातावरण गमगीन
था. लोग “राम नाम सत्य है” के उद्घोष कर रहे थे. आपका पोता इशांक, आकाश, गोलू, भोलू, भतीजा सर्वश्री अरविन्द, सूरज, कृष्णा, सतीश, राजेश, सोनू, मोनू, पड़ोस से सर्वश्री अभिनेश, मुकेश, राजीव रंजन, अजित, अवधेश प्रसाद, आपके भाई सर्वश्री रामाधार सिंह, शिवशंकर, शिव कुमार, सुरेश प्रसाद इत्यादि बहुत सारे लोग आपके अर्थी के पीछे-पीछे चल रहे थे. और लोग “राम नाम सत्य है” के उद्घोष कर रहे थे. बीच-बीच में आपके पार्थिव शरीर पर फूल और सिक्के छीटे जा रहे थे. आपके अर्थी को कुछ देर के लिए ताड़ तड़ (गडेरिया मोड़) रखा गया था. फिर आपके अर्थी को धधवा पुल लख पर रखा गया था.
फिर बस द्वारा आपके पार्थिव शरीर को पटना में गंगा नदी के किनारे दीघा घाट पर दाह-संस्कार के लिए ले जाया गया.
लकड़ी इत्यादि के प्रबंध में आपके बड़े लड़के के साले श्री संतोष मेहता और आपके शिष्य श्री सुरेश प्रसाद लगे थे. आपके अर्थी के साथ करीब सौ लोग आए थे. कुछ लोग जो पटना में रहते थे, डायरेक्ट दीघा घाट आ गए थे. श्री टुन्नू ठाकुर ने आपके बड़े लड़का के सर का बाल मुंडा. और उन्हें आपके मुखाग्नि के लिए गंगा में नहलाया एवं तैयार किया. तबतक आपके दाह-संस्कार के लिए चिता तैयार कर लिया गया था. घाट के मालकिन डोमिन ने पैसे लेकर मुखाग्नि का कार्यक्रम करवाया. करीब तीन घंटे के बाद करीब साढ़े तीन बजे आपके पार्थिव शरीर के अंग को गंगा में प्रवाहित कर दिया गया. दुबारा स्नान करा कर ‘उतरी’ को वहीं गंगा में प्रवाहित कर दिया गया. फिर डोमिन ने घाट छुड़ाने का विधि की. जिसमें जमीन पर लकीर खींचकर, गंगा माई का जय-जयकार करवाई.
लोगों को कुछ दान देने के लिए बोली. फिर सभी लोग बस द्वारा दानापुर बस-स्टैंड आ गए. वहां एक होटल में जलेबी पुड़ी
खाया. कुछ जलेबी, पुड़ी और मिठाई प्रसाद के रूप में घर के लिए रख लिया गया. करीब नौ बजे रात में सभी लोग घर पहुँच गए. घर में प्रवेश करने से पहले सभी लोगों को काली मिर्च जबाने के लिए दिया गया.
सुबह में आपके नाम पर हुमाद (धुप देने) के लिए बेदी बनाया गया. जहाँ आपके प्रियजन हुमाद जलाते और प्रणाम करते.
24.10.18 तक प्रतिदिन सुबह में घर और गोतिया के अधिकतर लोग आपकी याद में आपके फोटो के पास घर के आँगन में “तुम्हीं माता हो तुम्हीं पिता हो” का प्रार्थना के साथ हुमाद करते रहे थे.
23.10.2018 को दसवां के दिन श्री टुन्नू ठाकुर ने सभी पुरुष के सर का बाल मुंडा. मुंडन के बाद सभी लोग खली और सरसों
तेल अपने सिर पर लगाए. सभी पुरुष श्री राजेश के दालान में चापाकल पर स्नान किया. जबकि औरतें अहाते के नल पर स्नान किये. औरतें अहाते में एक जगह लाइन में बैठकर सुहागन की आशीर्वाद ली. सभी को चना गुड़ आदि का प्रसाद दिया गया. उसके बाद बौद्ध विधि के द्वरा पूजा कराया गया क्योंकि आपका झुकाव बौद्ध धर्म की तरफ थी. पूजा आपके समधी श्री
बैजनाथ प्रसाद ने करवाई.
25.10.18 को शोक सभा और श्राद्ध था. सुबह में 9 बजे श्राद्ध कर्म रिवाज शुरू हुआ. आपके समधी श्री बैजनाथ बाबू, श्री अवधेश कुमार (मिश्रा जी) एवं श्री सत्येन्द्र कुमार (मसौढ़ी से) के द्वारा बौद्ध पद्धति से पूजा हुआ. आपके समधी आपके याद को जिन्दा रखने के लिए एक पीपल का पौधा लगाने के लिए घर से लाये थे. जो आपके श्राद्ध के दुसरे दिन अमरपुरा बड़ी नहर के पुल के पास लगाया गया. शोक सभा साढ़े 11 बजे दिन से शुरू हुआ, शोक सभा में करीब डेढ़ सौ लोग शामिल हुए. करीब-करीब सभी संबंधी और दोस्त जिन्हें खबर मिली थी, शोक सभा में पहुंचे थे. दो मिनट के मौन के बाद आपके तस्वीर
पर पुष्पांजली का कार्यक्रम हुआ. उसके बाद करीब 25-30 लोगों ने आपके साथ बिताये पल को और आपके विचारों को लोगों के बीच रखा. करीब साढ़े तीन बजे शोक सभा समाप्त होने के बाद ब्रह्मभोज शुरू हुआ. करीब एक हजार लोग ब्रह्मभोज में शामिल हुए. भोज के बाद ही रात में चावल, दाल, पापड़ इत्यादि बनाकर और गोतिया को खिलाकर बरखी कर दिया गया. श्री नंदू साव ने खाना बनाया था.
आपके देहावसान की पीड़ा ने बहुतों को भीतर तक झकझोर दिया. जो दृष्टिकोण आप अपने पीछे छोड़ गए, उसके लिए न केवल परिवार वरन पूरा समाज सदैव आपका ऋणी रहेगा.