गुरूजी चले गए?
बाबूजी चले गए?
पिताजी चले गए.
दादाजी चले गए. नरेश बाबू चले
गए.
यही बातें अमरपुरा गांव में चल रही थी 13 ओक्टुबर 2018 को रात 10 बजे से. फोन पर भी यही बातें हो रही थी. सभी
लोगों की एक ही प्रतिक्रिया थी यह कैसे हो गया? अभी-अभी तो बात हुई थी. कल ही तो मिले थे. पूरी तरह स्वस्थ थे. 13 अक्तूबर 2018 को रात के करीब 9 बजे आपको हृदयघात हुआ तथा 1 घंटा के अन्दर ही आप चल बसे. घर में आपकी पत्नी और बेटी तेज आवाज में रो रही थी. गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई. लोगों का तांता लग गया. रात भर जाननेवाले वाले लोग आते- जाते रहे. आपकी पत्नी तो बेसुध हो गई. उनकी तो पूरी दुनिया ही लूट गई थी. उनका रो-रोकर बुरा हाल था. उनकी तबियत भी ख़राब हो जा रही थी. आपकी बेटी, दामाद और पड़ोसी ख्याल रख रहे थे. आपका दोस्त और भतीजा श्री
मिथलेश सिंह भी रात भर वहीँ आपके पास बैठे रहे. लीला महतो हाई स्कूल गया के शिक्षक और स्टाफ आपको नरेश बाबू कहकर बुलाते थे. भले ही आप रिटायरमेंट के बाद आप अपने गांव अमरपुरा में रहने लगे थे. अमरपुरा में आपका नाम नरेश बाबू से नरेश दादा या चाचा में तब्दील हो गया था. क्योंकि पूरा गांव एक रिलेशन में बंधा होता है. क्या जात क्या परजात. सभी लोग अपने हिसाब से रिश्ता रखते हैं, कोई किसी को चाचा, मामू तो कोई किसी को दादा कहता है.
आश्विन माह के शुक्ल पंचमी,
बिक्रम संवत् 2075 की वो रात, रात क्या कहें , शाम ही हुई थी. कचौरी मोची द्वारा घर-बाहर अहाते की सफाई
कराते-कराते कब शाम के साढ़े पांच बज गए आपको पता ही न चला. देर होने की बजह से आप प्रतिदिन की तरह आज लख पर बाजार नहीं जा पा रहे थे. किन्तु आपका मन नहीं माना. जल्दी ही हाथ-पैर धोकर पैंट सर्ट पहनकर लख पर जाने के लिए तैयार हो गए. “झोला दीजिएगा तो” बोलते हुए आपने अपनी पत्नी को आवाज लगाई.“ आलू, गोभी तो हई, रात में काहे जाईत हथिन” आपके पत्नी बोली. “रात कहाँ हुई है, बाजार घूम कर जरा आ जायेंगे” आपने कहा “ठीक हब जाईत हथिन त जल्दी आ जयिथिन”
ठीक है आ जाऊंगा , चिंता मत करअ.
फिर कपड़े का छोटा-सा झोला/ थैला
अपने पैंट के पैकेट में रखकर लख बाजार के लिए चल दिए . जैसे आप घर से लख की ओर आगे बढ़े, रास्ते में गांव के श्री बैजनाथ प्रसाद (श्री बैजू) मिल गए. जो आपको दादा कहकर पुकारते थे. और रिश्ते में आप उनके दादा थे भी. “दादाजी कैसे हैं ? इतनी शाम में कहाँ जा रहे हैं ”, उन्होंने पूछा.
ठीक है बैजू , तुम कैसे हो? आपने कहा.
मेरी कमर में थोड़ी दर्द रहती है
दादा, इसी कारण धीरे-धीरे चलता हूँ.
उन्होंने कहा.
अरे मुझे भी अब तेज चलने में
दिक्कत होने लगी है. आपने कहा.
कैसी दिक्कत दादा?
थोड़ा ही तेज चलने में हांफने
लगता हूँ, आपने कहा.
बुढ़ापा का शरीर है, दादा, ये सब तो होते ही रहता है.
हाँ बैजू.
इतना कहकर आप आगे बढ़ गए थे .
लख पर पहुँचते ही आपको अपने राजनीतिक साथी श्री रमेश ठाकुर मिल गए. बस फिर क्या था, नीतीश कुमार, लालू यादव, नरेन्द्र मोदी की राजनीति की बातचीत होने लगी. कब सात बज गए पता ही न चला. फिर कानों में आपके प्रिय पत्नी की आवाज गूंजी, “जल्दी आ जयिथिन”.
फिर आपने जल्दी-जल्दी सब्जी के दुकान से आधा-आधा किलो सेम और पालक ख़रीदा और वापस घर के लिए चल दिए थे . लौटते समय रास्ते में आपको श्री प्रमेन्द्र दयाल मिल गए. जो आपको रामायण गाने और सुनने का न्योता दे दिए . आपने भी बोल दिया कि आज रात खाना खाने के बाद जरुर रामायण गाने आऊंगा.
घर पर आपकी पत्नी राह देख रही थी, लिट्टा और आलू-गोभी की सब्जी बनाई थी.“ केतनो कह हिन् की जल्दी आ
जयिथिन तयियो देर करहीं दे हथिन”. आपके पत्नी कुछ इस तरह बुदबुदा रही थी.
“क्या करें, दोस्त मिल जाते हैं तो देर हो
जाती है”, आपने कहा था . “आज रमेश ठाकुर
से बात हो रही थी, ओमप्रकाश के शोकसभा में जाना है, बेचारा कितना अच्छा आदमी था, अब न रहा. अंत में बहुत तकलीफ
हुआ उसे. उसका दिया हुआ कविता मुझे पढ़ना है”. “ठीक हई, अपना ध्यान रख. जल्दी से हाथ पैर धोथिन और खाना खायथिन”, आपके पत्नी ने बोली थीं . ठीक है, आपने कहा था.
आप दो लिट्टा खाने के बाद, पानी पीते हुए बताते हैं कि आज साढ़े नौ बजे प्रमेन्द्र के दालान में रामायण गाने जाना है. फिर आप एक लिट्टा और खाए. खाना खाने के बाद रोज की तरह साढ़े आठ का रेडियो पर समाचार सुनते हैं. कभी-कभी
ऊँघने भी लगते हैं. फिर अपनी पत्नी के कहने पर अपने एक गिलास गरम दूध पिया. दूध पीने के बाद आपको पेट में दर्द –सा महसूस हुआ. फिर आप प्रतिदिन की तरह छत पर टहलने लगे. आप करीब 15 मिनट ही टहले होंगे कि अपनी पत्नी को जोर से आवाज लगाई. जैसे ही आपकी पत्नी छत पर गई आप दर्द से व्यथित थे. आपको सहारा देकर ऊपरी छत से नीचे लेकर आई. फिर आपने मयंआ (चंद्रमाला) को फ़ोन करने के लिए बोला. और श्री अभिनेश को बुलाने के लिए बोला. आपकी पत्नी घबराई हुई थी. श्री अभिनेश को बुलाने उनके घर गई. कुछ ही देर में अभिनेश एवं मुकेश दोनों भाई आ गए. आपके ब्लड प्रेशर चेक किया गया. ठीक था लेकिन बेचैन थे. हॉस्पिटल जाने की तैयारी होने लगी. कुछ देर में आपकी बेटी और
दामाद ऑटो लेकर पहुँच गए. हॉस्पिटल जाते समय आप चप्पल भी नहीं पहन पाए. जाते-जाते अपने अपनी पत्नी को बता गए कि “लगित हव न बचबुअ.”
लेकिन सभी लोग हिम्मत दे रहे थे. कुछ नहीं होगा डॉक्टर एक-दो इंजेक्शन लगाएगा उसके बाद सब ठीक हो जायेगा. आपको गोपाल अस्पताल, नौबतपुर मोड़ ले जाया गया. आप खुद चलकर मनीषजी के सहारे हॉस्पिटल के बेड पर लेटे. इस बीच आपके सभी लड़कों को फ़ोन द्वारा सूचित कर दिया गया. सभी लोग आपके स्वास्थ्य की चिंता कर रहे थे और आशा कर
रहे थे आप जल्दी ठीक हो जायेंगे. किन्तु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. आप जैसे ही हॉस्पिटल के बेड पर लेटे आपका बी.पी. चेक किया गया. डॉक्टर सुई देने की तैयारी कर रहे थे तभी आप धीरे-धीरे शांत होने लगे. फिर सदा के लिए शांत हो गए.