1. आँखों में अश्क लिये ; इधर-उधर ढूंढता हूँ | जब नहीं
पाता हूँ ; तो खुद को समझाता हूँ || तेरी यांदों को हृदय में संजोय ; अश्क को घूंट
–घूंट पीता हूँ ||”
-अजित कुमार सिन्हा, अमरपुरा
2. “सन 1956 का वर्ष थे जब मैं हाईस्कूल स्कूल, अमरपुरा
में अपना नाम आठवीं कक्षा में लिखवाया था तभी मेरी मुलाकात सर्वप्रथम उनसे (नरेश
बाबू से) हुई थी,....मेरे मित्र एक अच्छे नेक इन्सान थे. जरुरतमंदों की सहायता
करना उनके स्वभाव का एक हिस्सा था ....जबतक मैं इस धरती पर रहूँगा तबतक उनकी
अनुपस्थिति मुझे खलती रहेगी ..”
- प्रेमचंद, अमरपुरा/धनबाद
3. जब मैं यहाँ रहता था, 1970-72 की बात कर रहा हूँ,
हमलोग प्रतिदिन लख पर मिला करते थे और अनेक विषयों पर बातें होती थी, वे गहरी
आध्यात्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे |
- प्रेम कुमार मणि, एम एल सी, अनंतपुर/पटना
4. राम नरेश बाबू से मेरी पहली मुलाकात करीब तीस साल
पहले सोहैपुर, गया में हुई थी, वे हमेशा चाहते थे कि हमारा समाज आगे बढ़े | हमेशा
उन्होंने शैक्षिक उत्थान के लिए अग्रसर रहे |
-राम कविश सिंह, लखपर/मुंगिला
5. हमलोग डेली
सुबह-सुबह दो घंटा टहलते समय साथ-साथ रहते थे, वे सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को
हमेशा ही विरोध करते थे \ सबके साथ इनका सम्बन्ध अच्छा था, वे सभी के प्रति दयालु
भाव रखते थे.
-डा. कृष्णा प्रसाद, अमरपुरा
6. उनके
बारे में जो कुछ भी कहा जाय, खासकर सामाजिक और वैचारिक क्षेत्र में वह कम है | जब
से वे सर्विस में थे, तभी से ही हमारा उनका नाता था | इधर वे बुद्ध के विचारों के
नजदीक थे | वे पिंडदान, कर्मकांड का विरोध करते थे |
- कृपा नारायण सिंह, अमरपुरा
7. मेरा नरेश बाबू से पिछले बारह
वर्षों से गहरा लगाव हो गया था, हमलोग करीब-करीब प्रतिदिन लखपर बाजार में मिलते
थे, जब भी मैं उन्हें नहीं मिलता, वे दूसरों से मेरे बारे में पूछते थे | उनके
जाने से मुझे बहुत दुःख हुआ |
-आचार्य मुन्ना,
अनंतपुर
8. नरेश
बाबू मेरे आत्मिक मित्र थे, हम प्रत्येक माह अवधेश गौतम, लखपर के यहाँ बैठक करते
थे | उसमें नरेश बाबू अवश्य ही शामिल होते थे | बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मो पर भी उनसे विचार-विमर्श होता था |
-आचार्य सत्येन्द्र
बौद्ध, मसौढ़ी
9. नरेश
चाचा की शिक्षा ने ही मुझे आगे बढ़ाया है, मैं आज जो भी हूँ नरेश बाबू के कारण ही हूँ . मेरे पिताजी ने नरेश
बाबू से मुझे पढ़ाने के लिए अनुरोध किये थे, और फिर वे मुझे मैट्रिक तक शिक्षा
प्रदान करते रहे | वे जब भी किसी से बात करते थे, उसे शिक्षित होने के लिए अवश्य
कहते थे. इन्होने जितना भी धन कमाया उसका कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए दान
अवश्य करते थे. हमलोग जब भी चंदा के लिए आते थे, खाली हाथ नहीं लौटते थे.
-भूपेंद्र सिंह,
अमरपुरा
10. हमारे
बाबा (नरेश बाबू) मेरे प्रेरणा थे . वे मुझे हमेशा ही सामाजिक कार्यों में भाग
लेने के लिए प्रेरित करते रहे हैं, बाबा ने नौबतपुर में शिक्षा में बढ़ोतरी के लिए
बहुत कुछ किया . वे हमेशा ही आगे बढ़कर कुरीतियों से लड़ा |
-कुमार नरेंद्र
किशोर, छोटी टंगरैला
11. बहुत
दुःख हो रहा है कि आज जिन्हें मैं मौसा गुरूजी कहा करता था, उनके शोक सभा में
उपस्थित हूँ. वे हमेशा ही मेरे प्रेरणा श्रोत रहे. इन्हीं की प्रेरणा से मैं अपने
बच्चों को पढ़ाया और उन्हें उच्च अधिकारी बनाया |
- रामानंद सिंह,
मनेर
12. वे मध्यम
प्रकार के नौकरी करते थे . फिर भी शिक्षा के महत्व को समझते हुए, उन्होंने जो भी
कमाया, अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्च किये | बहुत से लोग हैं जो उनसे मदद और शिक्षा
लेकर विभिन्न पदों को सुशोभित कर रहे हैं | वे दिखा दिए कि सिर्फ अपने लिए न जिओ,
समाज के लिए भी जिओ | हमारा बेटा जो आज इंजीनियर है, उसके लिए भी किताब खरीदने के
लिए उन्होंने तत्काल दो हजार रुपये की मदद किये थे |
-रमेश ठाकुर,
अमरपुरा
13. वे हमारे
समाज के बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, वे हमें यही कहते थे कि बच्चों को अच्छी
शिक्षा दें | वे हमारे गार्जियन के रूप में हमेशा हमें निर्देश देते थे |
-विभा देवी,
अमरपुरा/बेला
14. बनारसी
बाबू, पटना के मार्फ़त मुझे नरेश बाबू से संपर्क हुआ था | उस समय से मुझे लगता था
कि ये मेरे अभिभावक के रूप में थे | वे अकसर कहते थे कि अपने बच्चों के अलावा समाज
के अन्य बच्चों के लिए भी शिक्षा की व्यवस्था करना चाहिए | वे मृत नहीं हुए हैं,
वे सदा के लिए अमर हो गए हैं , उनके द्वारा दिया गया ज्ञान सदा ही अमर रहेगा |
-प्रो. अमलेश कुमार,
वरुणा
15. नरेश
बाबू के जाने से हम तो अकेले हो गए, उन्हीं के साथ तो बैठते –उठते थे. उसदिन शाम
में ही मिले थे और रात में ही चले गए . विश्वास नहीं हो रहा |
- मदन तिवारी ,
अमरपुरा
16. नरेश
मामू हमारे मामू थे, हमदोनों का ननिहाल एक ही घर में सरबदीपुर गाँव में था | नरेश
मामू से मेरा बहुत लगाव था, नाता के नाते और व्यक्तिगत रूप से भी | वे हमारे घर का
भी गार्जियन थे | उनके जाने से मेरी बहुत भयानक क्षति हुई है |
- चंद्रशेखर,
अमरपुरा/रांची
17. नरेश
बाबू हमेशा सिखाते थे कि बड़ों का आदर करें | उनकी मौत से मैं बहुत मार्मिक हूँ |
- कृष्ण कुमार, अनंतपुर
18. जब अचानक
मुझे बाबूजी की मृत्यु की सूचना मिली, तो मुझे बहुत दुख हुआ | बाबूजी हमें हमेशा
फोन करते रहते थे और मेरा हाल – चाल लेते रहते थे | बात करने के क्रम में वे मुझे
‘शिक्षक’ पद की मर्यादा और महत्व के बारे में बताते थे | आज आगंतुकों के भाषणों से
लगता है कि मैं उनके बारे में बहुत ही कम जानता था |
- कमलेश कुमार संतोष
, दानापुर
19. रोज
सबेरे तो भेंट होय्वे कर हल नरेस चाचा से , रोज इहें आके रूम में पेपर पढ़ हली | अब
उ रूम में जाए में बरा अजीब लगीत हे | ई हमरा लागी देवता हलन | उनका जाये से बरा
अफ़सोस हे | ए चाचा हमारा सबपर कईलअ बड़ा
उपकार , तू व्यवहारिक शिक्षा देके करलअ बहुत उपकार |
-उमेश सिंह, अमरपुरा
20. वे ऐसे
शख्सियत थे, जिनके बारे में मैं क्या कहूँ , इनकी कमी हमेशा पुरे गाँव को खलेगी |
मेरे पिताजी (श्रधेद्य श्री मंगल सिंह) की
मृत्यु के बाद नरेश भैया मेरे अच्छे दोस्त बन गए थे | 13 अक्टूबर को शाम में मेरी
उनसे मुलाकात हुई थी . मैं उन्हें रामायण गाने के लिए बोला था, तो वे मेरे दालान
में रामायण गाने आने के लिए वादा किये थे | बात करने के क्रम में वे ओमप्रकाश जी
के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे थे और बोले थे कि मैं भी दो वर्ष से जयादा नहीं
बचूँगा ; किन्तु वे दो घंटे से ज्यादा नहीं जीवित रह पाए, वे ओमप्रकाश जी के निधन
के शोक के कारण चले गए |
-प्रमेन्द्र दयाल,
अमरपुरा
21. हम बहुत
नजदीक रहे हैं नरेश बाबू के | व्यक्तिगत रूप से मेरा नरेश बाबू से सम्बन्ध सन
70-75 से रहा | जगदेव बाबू के सहादत के बाद हमलोग शोषित समाज दल से जुड़े रहे |
अन्य बातों के अलावा एक बात और मैंने उनमें देखा- उनकी नम्रता | वे हमेशा
ब्राहमणवाद का विरोध करते रहे और उसका अपने उपर व्यवहार किया | मुझे उनसे अनेक बार
डा. आंबेडकर, पेरियार, बुद्ध के बारे में बातें होती थी |
- नन्द कुमार नंदा,
पूर्व विधायक, नरही
22. बाबूजी
हमलोगों को हमेशा अपने बेटा के समान मानते थे और हमेशा अच्छी सलाह देते थे |
- आभा सिंह, अमरपुरा
23. लोग कहते हैं कि नरेश बाबू का स्वर्गवास हो गया
है किन्तु मैं नहीं मानता हूँ कि उनका स्वर्गवास हुआ है , क्योंकि वे बुद्धि के
विचार से चलते थे और उनका विचार हम सबों में है | नरेश बाबू जिंदगीभर अंधविश्वास
का विरोध करते रहे |
- अवधेश कुमार उर्फ़
मिश्राजी, लखपर
24. सबसे
पहले मेरी मुलाकात नरेश बाबू से 1986 के लोकसभा चुनाव के समय किसी और के लिए वोट
मांगने के दौरान हुई थी. उसके बाद से उनके व्यवहार और शालीनता के कारण हमारी इनके
प्रति और इनका हमारे प्रति अगाध श्रद्धा हो गया | इसी बीच मेरे भाई समान मनीष जी
की किस शादी इसी घर में हो गयी . जिससे मित्रता में प्रगाढ़ता और बढ़ गयी | जब समाज
में आपस में कुछ मनमुटाव बढ़ा , तब भी नरेश बाबू समाज को एक सूत्र में बांधने की
कोशिश करते रहे |
- राम जनम शर्मा,
पूर्व विधायक (बिक्रम), अभरंचक
25. नरेश
बाबू के साथ हम करीब बीस वर्ष सोहैपुर हाई स्कूल में रहे, ये हमसे बहुत सीनियर थे
. ये काफी हेल्पफुल थे. हमारे शिक्षक समाज को इनके जाने से जो क्षति हुई है, वह
भूलाया नहीं जा सकता | वे समाज के लिए और गरीब बच्चों के लिए जो करके गए हैं,
स्मरणीय रहेगा | आज उनके शोक सभा में हम क्या कहें, नरेश बाबू नहीं हैं, लेकिन
उनका कद आँखों के सामने आपलोगों के उपस्थिति से झलक रहा है | सच्चाई, कर्मठता,
दुसरे की मदद करना उनके विशेष गुण थे |
-बृजमोहन प्रसाद,
गया
26. नरेश
बाबू जिस दिन गए, उस दिन मैं पटना में ही था, किन्तु मैं उनसे नहीं मिल पाया | मैं
जब आठवीं क्लास में पढ़ता था तो वे ग्यारहवीं क्लास में थे. इसके बावजूद हमारे बीच
काफी नजदीकी थी. गया में आने के बाद हमारे बीच और नजदीकी बढ़ गयी थी |
-प्रो. सच्चीदानंद
सिन्हा, (गया), छोटी टंगरैला
27. नरेश
बाबू बहुत साधारण और सादगी से रहा करते थे, सभी से मिलना- जुलना इनकी आदत रही है.
हमारे प्रति उनका हमेशा शुभ विचार रहता था |
- विजय कुमार,
शिक्षक कॉलनी, मानपुर, गया
28. संक्षेप में मैं इतना ही व्यक्त कर सकता हूँ कि नरेश बाबू का नाम राम नरेश
शायद इनके माता-पिताजी ने बहुत सोच समझकर रखा था | मैं इनके नाम को सार्थक पाया |
ये अपने नाम के अनुरूप पुरुषोत्तम श्री राम के गुणों को अपनाया | हे अद्भुत् राम
नरेश जी महिमा कही न जाय, यहाँ आपके दिल
दिमाग के खूबी कौन बताये |
- रामजी प्रसाद,
खान्जहाँपुर, गया
29. हम
उपस्थित हुए हैं पुण्यात्मा के श्रद्धांजलि में | उनकी माँ मेरी माँ की मौसी थीं.
इसप्रकार हम-दोनों के बीच मामू भगिना का रिश्ता था | सबसे बड़ी बात है कि वे सारे
लोगों से मिलते हुए और खुश करते हुए, इस धरती से विदा हुए |
- बिमलेश कुमार भूषण,
नसोपुर
30. पूज्य
पिताजी के चरणों में पुष्प अर्पण करते हुए मैं इस समय कुछ भी कहने में असमर्थ पा
रहा हूँ | एक बार किसी दुसरे गुरूजी ने इनसे पूछा था कि आप इसी को इतना महत्व
क्यों देते हैं , तो पिताजी ने जवाब दिया था कि वक्त आने पर पता चल जायेगा | इसी
से पता चलता है कि हम इनके कितने अजीज थे | पिताजी के प्रेरणा से ही मैं अपने
कॉलेज के किसी भी गरीब विद्यार्थी को सहायता करने के तैयार रहता हूँ | चिकित्सा के
क्षेत्र में, पिताजी ने रामसेवक बाबू और अन्य के सहयोग से कोइरिवारी, गया में
चिकित्सा शिविर की शुरुआत किये थे, जो अभी भी चल रहा है | उनके जाने से मेरा बगीचा
ही उजड़ गया |
-सुरेश प्रसाद,
मनियारा, राजगीर
31. हमारे
बीच अब नरेश बाबू नहीं रहे, मैं उनके साथ करीब पचास साल जीवन बिताया | उनकी जैसी
सख्शियत, दयालुता और नम्रता जैसे गुण वाले व्यक्ति मुझे आस-पास के गावों में नहीं
मिलता है | एक साधारण व्यक्ति होते हुए असाधारण बातें बोल देना नरेश बाबू की खूबी
थी |
-सर्वानन्द सिंह (मलिक
जी) , कोपा
32. मेरे लिए
ये बहुत दुखद घटना है. हमलोगों को इसका हमेशा मलाल रहेगा कि हमलोग समय पर पिताजी
का मेडिकल चेक अप नहीं करा पाया | यदि पिताजी का मेडिकल चेक अप हो जाता तो
कम-से-कम दस-बारह साल हमारे बीच अवश्य रहते | मुझे लगता है कि माँ जी के बाद इधर
पांच सालों में मैं सबसे ज्यादा समय पिताजी के साथ बिताया हूँ | उनके साथ मेरी
राजनीति और सामाजिक समस्याओं पर पुरजोर बहस होती थी, लेकिन हमारे बीच सम्बन्ध में
कभी कोई तनाव नहीं आया | वे प्रकृति की पूजा करते थे, वे प्रतिदिन स्नान करने के
बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य अवश्य देते थे |हमारे पुरे परिवार को उनके जाने का बहुत
दुःख है | चिट्ठी न कोई सन्देश , न जाने वो कौन सा देश, जहाँ तुम चले गए |
-मनीष कुमार,
नारायणपुर
33. नरेश
बाबू जिन्हें हम चाचा कहते थे, मेरे अभिभावक जैसे थे | मैं पिछले अठारह वर्षों से
लखपर रह रहा हूँ, जब कभी मैं यहाँ आता मुझे खाने के लिए अवश्य दबाव डालते थे | वे
हमारे पास अनेक लोगों को लाते थे और मेरा परिचय कराते थे | मैं आज अपना अभिभावक खो
दिया हूँ | आज समाज में जो भी विभेद है, उससे वे काफी दुखी रहते थे, और आपसी मतभेद
मिटाने का प्रयास करते रहते थे | जाने..चले जाते है कहाँ , दुनिया से जाने वाले...
- सूरज कुमार,
(लखपर), करंजा
उपरोक्त
लोगों के अलावा भी अनेक लोग यहाँ अपना विचार रखे थे, जो स्पष्टता के अभाव में तथा नरेश
बाबू से सम्बंधित नहीं रहने के कारण नहीं रहने के कारण, यहाँ नहीं दिया गया है |