1969 में खादी ग्रामोद्योग मधुबनी में सहायक के रूप में कार्य किये फिर 1972 में बिहार कॉपरेटिव फेडरेशन में कार्यकर्ता के लिए ट्रेनिंग लिए और कार्य शुरू किये । 1976 में लीला महतो स्मारक उच्च विद्यालय सोहैपुर गया के प्रधानाध्यापक श्रधेय श्री सहजानंद प्रसाद अपने सम्बन्धी श्रधेय श्री मंगल सिंह के घर अमरपुरा आये हुए थे। उसी क्रम में वे लोग नरेश बाबू से मिले और उन्हें लीला महतो उच्च विद्यालय में लिपिक पद की रिक्ति के बारे में बताया जिसका फॉर्म अख़बार में भी
निकला था। वे लोग नरेश बाबू से उस पद के लिए आवेदन करने के लिए सलाह दिया । नरेश बाबू को भी कॉपरेटिव में काम करने में मन नहीं लग रहा था। फलतः आपने भी आवेदन देने का मन बना लिया। आप लिखित परीक्षा और इंटरव्यू से एक दिन पहले छोटी टेंगरैला के श्रधेय श्री सच्चिदानन्द वर्मा जो गया के जगजीवन कॉलेज में लेक्चरर थे, के पास चले गये।
फिर अगले दिन सुबह गया से ट्रेन द्वारा बंधुआ स्टेशन पहुंचे और वहाँ से पैदल सोहैपुर स्कूल में पहुँच गये। परन्तु आपके स्कूल पहुँचते पहुँचते परीक्षा शुरू हो चुकी थी, परीक्षक से बहुत आग्रह करने पर आधे घंटे बाद परीक्षा में बैठने की अनुमति मिली। परीक्षा समाप्त हुई और लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ उसमें सबसे अधिक अंक आपने प्राप्त किया था। उसके बाद इंटरव्यू होना था जिसके मेम्बर में गया के तत्कालीन विधायक श्री सूर्यदेव सिंह, गया कॉलेज के प्रोफेसर
सच्चिदानंद वर्मा, स्कूल के प्रधानाध्यापक श्रधेय श्री सहजानंद प्रसाद सिन्हा, स्कूल के शिक्षक श्री मनोहर सिंह और श्री रामभजु प्रसाद शामिल थे। इंटरव्यू में आपका लिपिक पद के लिए चयन कर लिया गया। श्रधेय श्री रामभजु प्रसाद याद करते हुए बताते हैं कि उन दिनों स्कूल में गणित के अच्छे शिक्षक पदस्थापित नहीं थे नरेश बाबू का चयन करने के पीछे एक
कारण यह भी था कि इनका गणित बहुत अच्छा था और वे गणित पढ़ाने को तैयार भी थे।
सोहैपुर गया शहर से करीब आठ किलोमीटर पूरब एक गाँव था, श्रधेय श्री सुदर्शन प्रसाद वहाँ के एक अमीर किसान थे,
जिनके पास 1600 बीघा का रकबा था। उन्होंने ही शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने पिता लीला महतो के नाम पर उच्च विद्यालय की स्थापना की। श्रधेय श्री सुदर्शन प्रसाद की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र श्रधेय श्री किशोर बाबू स्कूल के
सेक्रेट्री बने। उस समय निसरपुरा के श्रधेय श्री बिरेन्द्र प्रसाद सिंह, श्रधेय श्री बिमल प्रसाद यादव, श्रधेय श्री नरेन्द्र द्विवेदी इत्यादि उस स्कूल के शिक्षक थे । श्री नागेश्वर प्रसाद उर्फ़ पहलवान और श्री चनेश्वर राम चपरासी थे। 1976 में ही स्कूल का सरकारीकरण हुआ था। शुरू में आप श्रधेय श्री बिरेन्द्र बाबू और श्रधेय श्री सहजाबाबू के साथ सोहैपुर गाँव में रहते थे।