जब आपका पोते इशांक का फुटबॉल खेलते समय 24 मार्च 2018 को हाथ टूट गया तो आपलोग बहुत परेशान हुए. आप उससे मिलने के लिए उतावले हो रहे थे. उस समय आपके मंझले लड़के प्रमोद अपने परिवार के साथ घर आया हुआ था. आपने अपनी पत्नी के साथ दिल्ली आने का निश्चय कर लिया. आपलोगों का पटना से दिल्ली आने का रेलवे टिकट मंझले लड़के प्रमोद के साथ 31.03.18 का ले लिया गया. आपका बड़ा लड़का विनोद भी आप सभी को फरीदाबाद लाने के लिए 1 अप्रैल को सुबह दिल्ली स्टेशन पहुंच गया. करीब 2 घंटे में सभी लोग फरीदाबाद पहुँच गए. आप दोनों अपने पोते से
मिलने के लिए बेताब थे. आपके मंझले बेटा भी परिवार के साथ फरीदाबाद गया. जैसे ही आपलोग फ़्लैट में घुसे, आपके पोते इशांक ने आपलोगों का चरण स्पर्श किया तथा बैठने के लिए बोला. फिर अपने पूछा कैसे सब हुआ. आपके मंझले
बेटे-बहु करीब 2 घंटे के अन्दर ही करनाल चले गए. जहाँ आपका मंझला लड़का कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कार्यरत है.
आप पिछली बार 2016 में जब आप फरीदाबाद आये थे, उस समय आपकी पत्नी का पैर बुरी तरह बेमच गया था. वो चल नहीं पा रही थी. फिर तुरंत उसी दिन आपके बड़ा लड़का अपनी गाड़ी से आपके मंझले लड़के के पास मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल नूह, मेवात ले गया. फिर उन्हें आराम मिला. इसी बीच आप श्री सुरेश प्रसाद के साथ जयपुर श्रीमती जयंती देवी जो कि अमरपुरा के श्री रामप्रवेश महतो की बहन है, के पास घुमने गए और वहां का भ्रमण किया. इस बीच आपकी पत्नी के पैर दर्द में राहत हुई. जयपुर से लौटने के बाद आप अपना रूटीन चेकअप करवाया. उसके बाद आप अपनी पत्नी, अपने बड़े लड़के, मंझले लड़के और उनके परिवार एवं श्री सुरेश प्रसाद के साथ मथुरा, वृन्दावन, एवं आगरा घुमने गए. आगरा में आप अपने मित्र प्रो. वीरेंद्र सिंह, बेदौली से मिले, उन्ही के सहयोग से आपलोग आगरा में एक रात राधा स्वामी आश्रम में रुके. आगरा घुमने के बाद फतेहपुर शिकरी गए. लौटते वक्त मथुरा में एक रात रुके. सुबह में मेवात पहुँच गए थे .
2018 के प्रवास में आप दो दिन फरीदाबाद रुकने के बाद, आप 6 अप्रैल 2018 को अपने शिष्य श्री सुरेश प्रसाद के साथ
अपने मंझले लड़के के पास करनाल चले गए. वहां से आपलोग कुरुक्षेत्र घुमने गये. कुरुक्षेत्र में आपलोग साइंस पैनोरमा, श्री कृष्ण संग्रहालय एवं ब्रह्मसरोवर के आस-पास घूमें. करनाल में आपलोग मेडिकल कॉलेज, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान परिसर एवं पार्क में घूमें.
दुसरे दिन आपलोगों को बस स्टैंड तक छोड़ने आपके मंझले लड़का प्रमोद और उसके बच्चे सुकून एवं सोहम भी साथ गए. आपलोग बस में बैठकर करनाल से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. ये आपके मंझले लड़के एवं उसके परिवार से आखिरी
मुलाकात थी. आपने बोला कि अगली बार आएंगे तो ज्यादा दिन रुकेंगे और हरिद्वार घुमने जायेंगे. मगर ऐसा हो न सका और 13 अक्तूबर 2018 को हृदयाघात के चलते अपने निवास स्थान अमरपुरा में संसार को अलविदा कर दिए.