जब आपकी बेटी की भी पारामेडिकल के कंपेटिसन में सेलेक्सन हो गया और उसे स्पीच थेरेपी में ग्रेजुएशन में एड्मिशन
के लिए आया तो आप बहुत खुश हुए थे, उस समय आपका मंझला लड़का उसी कालेज के कैम्पस में नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ ओर्थोपेडिक हंडिकप्पेड, कलकत्ता में काम कर रहा था । जैसे- जैसे आपकी बेटी की पढ़ाई समाप्त
हो रही थी । आपको उसकी शादी की चिंता सता रही थी । आप उसकी शादी किसी डॉक्टर से करवाना चाहते थे । इसके लिए आपने अनेक जगह पता किया । किन्तु आपकी बेटी आगे पढ़ाई के इरादे से अभी शादी नहीं करना चाहती थी । आपकी माताजी भी चाहती थीं कि उनकी जिंदगी में ही उनकी पोती की शादी हो जाए । किन्तु ऐसा हो नहीं पाया । कुछ महीनों के बाद आपको पता चला कि आपकी बेटी अपने पुराने शिक्षक, टैलेंट कोचिंग के शिक्षक श्री मनीष कुमार से शादी करना चाहती है , यह जानकर आपको बहुत गुस्सा आया । आप अपने गुस्सा का इज़हार अपनी पत्नी और अपने बड़े बेटे से किया । आपको लगता था कि यह सही जोड़ी नहीं होगी , फिर आपको गाँव में अपनी बदनामी का भी डर सता रहा था, अभी भी गाँव में प्रेम-विवाह को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता है । कुछ महीनों तक आप उधेड़-बुन में रहें । फिर आपने अपने बड़े और मँझले लड़के से बात किया, फिर नफा-नुकसान को सोचते हुए आप उसकी शादी उसकी मर्जी से करने के लिए तैयार हो गए । अंततः पूरा परिवार नारायणपुर के श्रद्धेय श्री बैजनाथ प्रसाद के तृतीय पुत्र श्री मनीष कुमार से अपनी प्यारी
बेटी की शादी के लिए तैयार हो गया । इस निर्णय से आपकी बेटी बहुत प्रसन्न हुई ।फिर 18 मई 2014 को सुश्री चंद्रमाला शौर्य और श्री मनीष कुमार की शादी धूमधाम से हो गयी । चूकी नारायणपुर से अमरपुरा ज्यादा दूर नही था, कुछ लोग पैदल ही बारात आ गए थे ।
अब आपको अपने सबसे छोटे बेटे की शादी की चिंता हो रही थी । बगल के गाँव शहर रामपुर के श्री कृष्णा प्रसाद, जिनका अमरपुरा में ननिहाल है, जो श्री ऋषि दयानंद सिंह के भगिना हैं, राजीव नगर, पटना के एक लड़की का फोटो ले आए
। आपको उसकी पढ़ाई-लिखाई और रंग-रूप पसंद आ गया, फिर आपने छोटे बेटे श्री आमोद की शादी श्रद्धेय श्री अनिल कुमार की सबसे बड़ी बेटी सुश्री रिपु दमन से तय कर दिया । दोनों का रिंग-सिरोमणि 10 जुलाई 2016 को हो गया, और शादी का तिथि 24 नवम्बर 2016 को तय कर दिया गया था । सब कुछ सामान्य चल रहा था, शादी की तैयारी चल रही थी, कपड़े खरीदे जा रहे थे । किन्तु इसी बीच 22 सितम्बर 2016 को शाम के चार-पाँच बजे अचानक आपको जबरदस्त लकवे का अटैक आ गया । पहले आपकी बोली लड़खड़ाई, फिर आप अचेत हो गए । आपके दामाद, श्री मनीष कुमार, पड़ोसी श्री अजित कुमार और श्री अभिनेश कुमार, ने तुरत ही आपको नजदीकी क्लीनिक डा. सियाराम सिंह, नौबतपुर ले गए। वे प्राथमिक उपचार करके शीघ्र आपको पटना के किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दिए । उनके सलाह पर
उनलोगों ने एक गाड़ी ठीक कर आपको लेकर पटना के लिए चल दिए। इसबीच आपके दामाद ने आपके लड़कों को भी ख़बर दे दिए थे ।
आपके शिष्य डा. संजय कुमार, सोहैपुर, गया के सलाह पर आपको हार्ट हॉस्पिटल, कंकडबाग, पटना में भर्ती कराया गया । जब आपको लकवा मारा था, उस समय घर पर कोई नहीं था, आपके पत्नी के अतिरिक्त । आपका छोटा लड़का आपके बड़े लड़के ‘बिनोद’ के पास दिल्ली गया हुआ था, मंझला लड़का भी करनाल, हरियाणा में था । परिवार पर बड़ी मुसीबत आयी थी । रात होते-होते आपके शिष्य श्री सुरेश प्रसाद पटना अस्पताल पहुँच गए । पत्नी तो साथ मे थीं ही । डा. संजय अपने निर्देशन में आपके लिए दवा चलवा रहे थे, आप अभी भी बेसुध थे, सिर्फ साँसे चल रही थी । दूसरे दिन आपके छोटा बेटा ‘आमोद’ आ गया । दो-तीन दिनों में आपके और दोनों लड़के भी पटना आ गए । दो दिनो में आपके शिष्य डाक्टर का दवा असर करना शुरू कर दिया था, अब आप अपना आँख खोलने लगे थे, पैर भी हिला-डुला सकते थे, लोंगों को पहचानने लगे थे ।
करीब एक सप्ताह में आप बोलने लगे और अपने पैरों पर खड़ा होने लगे । आपको वही हॉस्पिटल में ही फिजिओथेरपी दिया गया। आपकी प्यारी बिटिया ‘चंद्रमाला’ अपनी ज्ञान और शिक्षा का उपयोग आपके बोली सुधारने में लगायी, जबकि आपके मँझले लड़के ‘प्रमोद’ ने अपने संपर्क से अनंतपुर के एक फिजिओथेरेपिस्ट का पता लगाया। करीब-करीब दो महीने तक लगातारआपको फिजिओथेरपी दिया गया , और अंततः 24 नवम्बर 2016 को अपने छोटे बेटे की बारात ले जाने के लिए पूरी तरह फिट हो गए । आपको लकवा होने से बारात और शादी में कोई खास अरचन नहीं हुआ । आपने अपने छोटे
बेटे की शादी धूम-धाम से किया।
लेकिन दुर्भाग्य से आपके नए समधी श्रधेय श्री अनिल बाबू का आकस्मिक निधन हार्ट अटैक से हो गयी । छोटे बेटे की शादी का एक साल भी पूरा नहीं हुआ था ।श्रद्धेय अनिल बाबू की मौत उनके अपने ही जन्म-दिन 6 नवम्बर 2017 के दिन हुई थी । उनकी मौत की ख़बर सुनकर आप बहुत दुखी हुए थे । श्रधेय श्री अनिल बाबू उसदिन अपने परिवार के साथ अपना जन्म
दिन मनाने का प्लान कर रहे थे , किन्तु शायद भगवान को उनका जन्म-दिन मनाना अच्छा नहीं लगा और वे अचानक ‘छाती दर्द’ का बहाना लेकर दूर चले गए , वे हॉस्पिटल भी नहीं जा पाये थे
।