ऐसा लगता है आपके पास समय की कमी थी. आपको इसका अहसास भी हो गया था. तभी तो आप अपनी जान पहचान के लोगों से जल्दी-जल्दी मिल लेना चाह रहे थे. जब आपसे मिलने आपके बड़ी साली श्रीमती सोना देवी, बाजितपुर की पुत्री श्रीमती मीना कुमारी और उनके पति श्री प्रवीण कुमार नंदा अमरपुरा अपनी गाड़ी से आये तो आपने भी पालीगंज, कुर्था तरफ घुमने का प्लान बना लिया. इसी क्रम में आपने 7 अक्तूबर 2018 को अपने ससुराल सेल्हौरी गए. वहां से आप अपने साले श्री शशिकांत सिन्हा एवं उनकी पत्नी श्रीमती किरण देवी को साथ लिया. फिर पालीगंज होते हुए करहारा अपने बड़े साली के लड़के श्री बलराज सिंह के घर गए. फिर बाजितपुर अपने बड़ी साली श्रीमती सोना देवी के घर गए. बाजितपुर में आपने अनेक लोगों से मिला. फिर आपने अपने डेढ़साली की लड़की श्रीमती मीना कुमारी के ससुराल ‘करवां’ गए. फिर वही से आप श्री बलराज सिंह के ससुराल अतौलाह में कई पुराने साथी और सम्बन्धी से मिले. आप दो दिनों तक उधर घूमते रहे. फिर तीसरे दिन 10 अक्तूबर 2018 को बस द्वारा सकुशल वापस अमरपुरा आ गए.
11 अक्तूबर 2018 को आपको पता चला कि आपके प्रिय मित्र श्री ओमप्रकाश सिंह का तबियत बहुत ख़राब है. आप अमरपुरा के श्री उमेश सिंह के साथ उन्हें देखने दानापुर जाने वाले थे. किन्तु किसी कारणवश नहीं जा पाए. श्री उमेश सिंह उनसे मिलने दानापुर गए थे. श्री ओमप्रकाश सिंह आपको गुरूजी कहा करते थे. और मानते भी थे. श्री ओमप्रकाश सिंह ने करीब बीस कविताओं का संग्रह लिखा था. वे उस कविता संग्रह को श्री उमेश सिंह के द्वारा आपके पास भिजवाया. ताकि आप उनकी कविताओं को पढ़ कर देख लें और बता सके कि छपवाने लायक है कि नहीं. आप उनकी कविताओं को पढ़ ही रहे थे कि श्री ओमप्रकाश सिंह की मौत की खबर आ गयी. उनकी मौत की पीड़ा ने आपको भीतर तक झकझोर दिया. आपको गहरा धक्का लगा. परन्तु आपने अपने ह्रदय के इस धक्के को किसी के सामने प्रकट नहीं होने दिया. आप
अपने दिल को यही समझाते रहे कि उनकी तबियत बहुत ख़राब हो चली थी इसलिए वे चले गए. किन्तु आपका दिल को यह विश्वास नहीं हो रहा था. आप दिल ही दिल में घुटने लगे. आपकी धड़कन भी बीच-बीच में बढ़ जाती थी पर किसी को बताते नहीं थे. आप अपने लड़कों से बात करते हैं तो श्री ओमप्रकाश सिंह की मौत के बारे में चर्चा करते थे. आपको दिल पर
गहरी चोट लगी थी किन्तु कोई समझ नहीं पा रहा था. आप उनकी शोक सभा में जाने की अभी से तैयारी कर ली थी कि आप उस समय उनकी कौन सी कविता पढेंगे. और अपनी तरफ से भी कविता लिखने की कोशिश कर रहे थे. मगर ऐसा हो न सका.