रोशनी का एहसास कराता हैं अंधेरा ,
रोशनी का एहसास कराता हैं अंधेरा।
जो ना ढ़लता सूरज,
तो बोलो भला!
नमन करता कौन?
पहली किरण पर।।
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रोशनी को करके काबू ,
पल भर के लिए ही सही।
रोशनी को करके काबू ,
पल भर के लिए ही सही।
मगरूर तो होता हैं, अंधेरा
पर जाने हैं, वो भी
रोशन तो होकर ही रहता हैं सवेरा।।