जिंदगी
आसमां में छाये हो बादल जैसे
काले-काले।
वैसे ही जिंदगी में
कभी मायूसी भी,
फिर बरखा आये और
नजारा साफ़ हो जाये।
जिंदगी
शतरंज की बिसात सी कभी,
क्षय और मात साथ - साथ दोनों ही।
जिंदगी
खूश्बू और कांटो सी,
बंधे दोनों साथ - साथ ही।
जिंदगी
सूरज और चांद में बंटी,
आधा हिस्सा कहीं और
बाकी यहीं -कहीं।
जिंदगी
धूप और छांव भी,
ठंडक पहुंचाये भी और
तन को जलाये भी।
जिंदगी
पानी और बर्फ सी
एक का ही दूजा रूप,
मगर बदल दे
दूजे का गुण और स्वरूप।।