राही का क्या हैं काम,
क्या हैं उसका मुकाम
बस चलते जाना।।
एक कदम जो गिरे,
उठना फिर संभलकर चलना
आये.. पत्थर गर राह में
हौसलों से उन्हें हटाते चलना
जो धूप लगी
थोड़ी छांव तलाशना...फिर चलते जाना
महसूस होने लगे जो थकन
विश्राम कर पल भर
फिर मंजिल की ओर कूच करना
कभी ना रूकना
ना हालातों से हारना
बस चलते जाना
और बस चलते जाना
यहीं हैं राही तेरा काम,
यहीं मंजिल... हैं यहीं तेरा मुकाम!!!