इबादतें...
होती हैं क्या इबादतें।।
खैरियत रहे,
सलामत रहे,
अपनों की आरज़ू--ऐ... ही होती हैं इबादतें
बरसती हैं जब आसमां से बूंदें...
पूरी होती हैं ना जाने कितनी ही ख्वाहिशें...
इबादतें...
होती हैं क्या इबादतें।।
मन का तार हैं,
धागा ये ऐतबार हैं,
बादलों के पार ही कहीं..
लगता इसका अम्बार हैं।
इबादतें..
होती हैं क्या इबादतें।।