मासूमियत से भरा
कितना प्यारा
सबका प्यारा
वो बचपन हमारा।
वाणी ऐसी जिसमें कोई छल नहीं
मिठास ऐसी जिसमें चासनी की गुंजाइश नहीं
निखार ऐसा जिसमें कोई मिलावट नहीं
दुलार ऐसा जिसमें छिपा कपट नहीं
भोला- भाला
आखों का तारा
सबका प्यारा
वो बचपन हमारा।
यादों का झरना
संगीत ऐसा जिसमें चाहे सुर नहीं
हंसी ऐसी जिसमें कोई खौफ नहीं
गूँज ऐसी जिसका कोई शोर नहीं
उड़ान ऐसी जिस पर कोई रोक नहीं
सपनों सा
सबसे न्यारा
सबका प्यारा
वो बचपन हमारा।