*संसार में सब हमारे मित्र बन जाये...यह किन्चित सम्भव नहीं है लेकिन कोई हमारा शत्रु ना बनें, यह प्रयास किया जा सकता है।*
*हमारे मुख से सबके लिए प्रशंसा के शब्द ना निकलें कोई बात नहीं, पर हमारे मुख से किसी की निंदा ना हो, यह तो किया जा सकता है।*
*आप किसी को अपनी थाली में से रोटी निकलकर नहीं खिला सकते तो किसी के निवाले को छीनने वाले भी ना बनो।*
*अगर हमसे पुन्य नहीं बनें तो पाप ना हो, ऐसा प्रयत्न जरूर करें। आप सत्य नहीं बोल सकते तो असत्य ना वोलने का संकल्प लें। विकार से विचार एवं विकास की यात्रा पर चलने वाला ही सत्य की अनुभूति कर सकता है।*