*"दीपक" बोलता नहीं, उसका "प्रकाश" परिचय देता है, ठीक उसी प्रकार आप अपने बारे में कुछ न बोलें, अच्छे "कर्म" करते रहे, वही आपका परिचय देगे...!!!*
*वैसे तो अधिकतर लोग अपने दोष किसी को बताते नहीं हैं, फिर भी कभी कभी भोलेपन के कारण ऐसी गलतियां हो जाती हैं, अतः सावधानी से जीवन को जिएं, आवश्यकता पड़ने पर अपने माता-पिता और गुरुजनों को ही अपने दोष बताएं, सबको नहीं,* *मनुष्य अल्पज्ञ है, उससे कभी न कभी, कहीं न कहीं, छोटी मोटी गलती हो जाती है, परंतु मनुष्य को सावधान रहना चाहिए, कौन सा कार्य गलत है, और कौन सा सही, इसकी जानकारी उसे सदा करते रहना चाहिए, सही और गलत को जानने पहचानने की अंतिम निर्दोष कसौटी ईश्वर है, क्योंकि ईश्वर सर्वज्ञ है, वह कभी गलती नहीं करता, इसलिए सही ग़लत के निर्णय के लिए ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए, अपनी सुरक्षा अपने हाथ में है, पहले तो दोष करें ही नहीं, यदि हो भी जाए, तो अपने बड़े बुजुर्गों से सहायता ले कर उन्हें शीघ्र ही दूर करें, तभी आपका जीवन सुंदर एवं सुखमय बनेगा....*