*किसी*
*की निंदा ना करें ।*
*अगर आप आगे बढ़ कर*
*किसी की मदद कर सकते हैं तो करें*
*अगर नहीं कर सकते तो*
*उसके मार्ग की रुकावट न बनें*
*आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है ।*
*अपने आप को असहाय मानने से बड़ा*
*और कोई पाप नहीं हो सकता ।*
*धन का अगर परोपकार में उपयोग हो*
*तो इसका निश्चित कुछ मूल्य है,*
*अन्यथा यह मात्र कूड़े का एक ढेर है ।*
*उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया*
*जिसे कोई सांसारिक वस्तु*
*व्याकुल नहीं करती ।*
*जो निर्विकार हो गया है ।*