मन के हारे हार है मन के जीते जीत। यह बात कई बार आपके मुख से निकली होगी और बहुधा दूसरों के द्वारा भी सुनी होगी। जीवन का बहुत बड़ा रहस्य इस साधारण सी लोकोक्ति में छिपा है।
जिसका मन हार जाता है फिर चाहे दुनिया के कितने भी साधन और शक्ति उसके पास क्यों ना हो वह जरूर पराजित होता है। कुछ ना होते हुए भी मनोबल जिसका बना हुआ है वह एक दिन जरूर विजयी होता है। इंसान की वास्तविक ताकत तो उसका स्वयं का आत्मबल ही है। मनोबल से हीन व्यक्ति तो निर्जीव ही है।
शरीर कितना भी हृष्ट पुष्ट हो, आसान सा कार्य हो लेकिन शरीर को कार्य करने के लिए प्रेरित करने वाला तो मन ही है। सारे कार्य मन के द्वारा ही तो संचालित होते हैं। मन से कभी भी हार मत मानना, नहीं तो आसान सा जीवन कठिन हो जाएगा।