अयोध्या में श्रीराम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटे विश्वभर से उपहार एक अद्वितीय और आदिवासी धाराओं को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। यह तीन दिन के वैदिक अनुष्ठान के दौरान साकार रूप से प्रकट हुआ है, जिसमें अफगानिस्तान से भी उपहार भेजे जा रहे हैं।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया है कि कश्मीर, तमिलनाडु, और अब अफगानिस्तान से भी उपहार श्रीराम मंदिर के यजमान, अनिल मिश्रा को सौंपे गए हैं। इसमें मुस्लिम समुदायों से भी समर्थन शामिल है, जो निर्माण प्रक्रिया को एक मित्रभावपूर्ण दृष्टिकोण से देख रहे हैं।
आलोक कुमार ने इस साकार अनुष्ठान के दौरान कश्मीर से मिले मुस्लिम भाई-बहनों की भाषा का जिक्र किया है, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण पर अपनी खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "भले ही हम अलग-अलग धर्मों को मानते हैं, लेकिन हमारे पूर्वज एक ही हैं।" इस एकता भावना का परिचायक रूप में, उन्होंने 2 किलो शुद्ध केसर भी सौंपा है, जो कि दिलचस्प और आत्मीय उपहार हैं।
इसके अलावा, अफगानिस्तान से भी विशेष तोहफा आया है। काबुल नदी, जिसे स्थानीय भाषा में "कुभा" कहा जाता है, का जल श्रीराम मंदिर में भगवान राम के अभिषेक के लिए भेजा गया है। इसमें एक अनूठी भारत-अफगान सांस्कृतिक दृष्टिकोण है जो इस महत्वपूर्ण समय में साझा किया जा रहा है।
तमिलनाडु के रेशम निर्माताओं ने भी श्रीराम मंदिर के लिए अपना योगदान दिया है, और उन्होंने चित्रित रेशम की चादर भेजी है, जो एक सुंदर आर्टिस्टिक रूप में बुनी गई है।
इस पूरी घटना से स्पष्ट हो रहा है कि श्रीराम मंदिर की निर्माण प्रक्रिया विभिन्न सांस्कृतिक समृद्धि और सामरिक सशक्तिकरण के साथ संबंधित है, जिसमें समस्त समुदायों का समर्थन है।