अयोध्या में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में और जानकारी देते हुए, यह साक्षात इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है जिसने लोगों का दिल जीता है। रामलला की मूर्ति, जिसे 51 इंच की सोने और फूलों से सजी गई है, उसमें स्वर्णमुकुट, हीरे-मोतियों का हार, सुशोभित कुंडल, और स्वर्ण धनुष-बाण हैं। रामलला की यह मूर्ति कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने शालीग्राम शिला से बनाई है, जो काले रंग का पत्थर होता है। शालीग्राम पत्थर को शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में सीधे भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है और रामलला को भगवान विष्णु के सातवें अवतार माना जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह में रामलला की पूजा-अर्चना की, मूर्ति का अनुष्ठान किया, और आरती भी उतारी। इस दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित थे। पूजा के मोमेंट्स में यह महत्वपूर्ण व्यक्तियों की एकता और भक्ति का प्रतीत होता है, जो इस समारोह को और भी अद्भुत बनाता है।
मूर्ति की शालीग्राम शिला से बनाई जाने वाली बनावट ने इसे अद्वितीय बना दिया है। यह विशेष रूप से चंदन और रोली के साथ सजी हुई है, जिससे मूर्ति की चमक और प्राकृतिकता में वृद्धि हुई है। शालीग्राम पत्थर की आयु हजारों साल होने के कारण यह धार्मिक महत्व भी प्राप्त करता है, और इसे जल रोधी भी माना जाता है।
इस प्रतिष्ठा समारोह के द्वारा, आयोध्या ने अपने इतिहास में एक नया युग आरंभ किया है, जो धार्मिक संस्कृति और एकता को मजबूती से दिखाता है। रामलला की प्रतिष्ठा से जुड़ी इस शानदार समारोह ने भारतीय समाज को एक साथ आने का संदेश दिया है और उनकी आस्था को और भी बढ़ावा दिया है।