ओआईसी का बयान आयोध्या में हुए राम मंदिर के उद्घाटन पर एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील परिप्रेक्ष्य से है. इस संगठन ने अपने बयान में यह प्रतिनिधिता की है कि उन्हें चिंता है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की निंदा हो रही है और इसका सीधा संबंध बाबरी मस्जिद के ढहाने के पूर्व घटित हो रहे घटनाक्रमों से है.
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया और इस महत्वपूर्ण क्षण में देशभर से लोग उत्साहित होकर आए. इस कार्यक्रम में राजनीति, साहित्य, कला, और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ-साथ आम जनता ने भी भाग लिया.
इसके बाद, 23 जनवरी को ओआईसी ने एक बयान जारी करके मस्जिद की जगह पर राम मंदिर के निर्माण की निंदा की. उनका कहना है कि उन्हें इस कदम की निंदा है, जिसका लक्ष्य बाबरी मस्जिद जैसे महत्वपूर्ण इस्लामिक स्थलों को मिटाना है. ओआईसी के अनुसार, बाबरी मस्जिद पहले से ही उस स्थान पर खड़ी थी और पाँच सदी तक वहां बनी रही. इसलिए, राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को ओआईसी ने चिंता का कारण माना है.
ओआईसी का यह बयान दरअसल एक सामाजिक और राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें धार्मिक स्थलों के निर्माण पर हो रही चर्चा में संगठन का स्थान लिया जा रहा है. यह स्थिति धार्मिक समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रति सावधानी की आवश्यकता को उजागर करती है, और यह दिखाती है कि राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों पर समझदारी से चर्चा की जानी चाहिए.