राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान अयोध्या न जाने का इशारा करना महत्वपूर्ण सार्थक बयान है जो भारतीय राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा देता है। उनका यह निर्णय राजनीतिक समीकरण को बयान करता है और उनकी पार्टी की राजनीतिक दिशा को साफ-सुथरा रूप से दर्शाता है।
राहुल गांधी ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है कि वे यात्रा के दौरान अयोध्या नहीं जाएंगे, लेकिन यात्रा के रूट पर ही रहेंगे। इससे उनका इच्छित संदेश सामाजिक और राजनीतिक माध्यमों के माध्यम से पहुंचता है कि उन्हें राजनीतिक मुद्दों में धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण बनाए रखने का आवश्यकता है।
इसके साथ ही, राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी के संगठन को आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सियासी कार्यक्रम बना दिया है। यह स्पष्ट रूप से उनका आपत्तिजनक दृष्टिकोण दर्शाता है और उनके और अपने पार्टी के बीच संबंधों की स्थिति को सुनिश्चित करता है।
विशेषकर, उनका इशारा है कि वे फिलहाल अयोध्या न्याय यात्रा के रूट में नहीं हैं।