इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की सफलता के बाद दिए गए बयान में बताया कि अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। इसका पहला दौर का परीक्षण अगले साल शुरू हो सकता है, और यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2028 तक इसे पूर्णता से स्थापित कर लिया जाएगा। इस स्टेशन के मॉडल में क्रू कमांड माड्यूल, हैबिटेट माड्यूल, प्रोपल्शन माड्यूल, और डार्किंग बोर्ड शामिल होंगे। पूरे कैप्सूल का द्रव्यमान लगभग 25 टन का होगा, जो भविष्य में स्टेशन के विस्तार के आधार पर बढ़ाया जा सकेगा।
इसरो प्रमुख ने बताया कि यह स्टेशन प्रयोगशाला के रूप में डिज़ाइन किया जाएगा, जहां वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग होंगे। मिशन को पूर्ण करने की तारीख का निर्धारण अभी तक नहीं किया गया है, लेकिन इसकी आशा है कि बुनियादी मॉडल 2028 तक स्थापित होने की योजना है और 2035 तक इसको पूर्ण रूप से स्थापित किया जाएगा।
इसरो प्रमुख ने छात्रों के साथ हुए एक सत्र में बताया कि इसरो ने अब नए दरवाजे खोले हैं और स्टार्टअप के लिए अपना समर्थन दिया जा रहा है। इससे युवा उद्यमिता, मूल्यों, और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, इसरो का लक्ष्य सामाजिक प्रगति में योगदान करना है और राष्ट्र-निर्माण के लिए नए अवसरों को खोलना है। उन्होंने बताया कि 2023 में लागू हुई नई इसरो नीति से समाज में सार्थक परिवर्तन आने की संभावनाएं हैं।
इससे साफ है कि इसरो अपनी उद्दृत्त योजनाओं के माध्यम से भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में नेतृत्व करने का संकल्प रखता है और नए तकनीकी उत्पादों के माध्यम से अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में अपने प्रदर्शन को मजबूत कर रहा है।