यह राजस्थान के जयपुर से निवासी डॉ. महेंद्र भारती और डॉ. शालिनी गौतम का कथा है, जिन्होंने 33 साल पहले एक अद्भुत संकल्प लिया था। उन्होंने तब शपथ ली थी कि जब तक अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण नहीं होता, तब तक वे शादी नहीं करेंगे और न कोई माला पहनेंगे।
समय बीतते हुए, अब जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है और भगवान राम वहां विराजमान हो गए हैं, तो इस जोड़े ने अपने संकल्प को पूरा करने का निर्णय लिया है। उन्होंने अयोध्या में एक विशाल यज्ञ वेदी पर सात फेरे लिए और पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर शादी कर ली।
इस अद्भुत सागा में, वरमाला के लिए उन्होंने वही माला चुनी, जिससे मंदिर में भगवान राम का श्रृंगार किया गया था। इस साकारात्मक पल में, डॉ. महेंद्र भारती और डॉ. शालिनी गौतम ने अपने संकल्प की पूर्ति का आनंद लिया, और उनकी शादी को पुरोहित बंधु तिवारी ने संपन्न की।
इस किस्से में छिपी एक गहरी भावना है, जिसमें समर्थन, आत्मसमर्पण, और आस्था की भावना है। डॉ. महेंद्र भारती और डॉ. शालिनी गौतम ने अपने विश्वास को साकार किया और अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहे।
समाज में इस तरह की अनूठी कहानियां एक सकारात्मक संदेश लाती हैं, जो साहस, समर्पण, और आदर्शों की महत्वपूर्णता को साबित करती हैं। डॉ. महेंद्र भारती और डॉ. शालिनी गौतम की तरह के उदाहरण हमें यह दिखाते हैं कि समर्थन और सामर्थ्य से भरा हुआ संकल्प हमें किसी भी मुश्किल को पार करने में सहारा देता है।
इसके अलावा, इस कहानी में एक धार्मिक रंग है, जो धार्मिक मान्यताओं और आस्थाओं की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।