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अपराध

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74“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की। “सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत क

अपराध करो कम ना अपराधी,अपराध ही है सारी व्याधि।अपराध की कुछ मजबूरी होती,अपराध की भी कुछ जड होती।कुछ भोले-भाले इंसान भी,अपराध चपेट में आ जाते।कुछ अपनी ताकत के बलबूते,अपने अपराध छुपा जाते।अपराधी सिद्ध ह

सुना है कि खामोशी की आवाज दूर तक सुनाई देती है  खामोशी जब बोलती है तो फिर सिर चढ़कर बोलती है  सौ बक बक से अच्छी है एक अदद खामोशी  तकरार ज्यादा बढ़ने को रोक देती है खामोशी  खामोश रहने

67 विक्रमसिंह ने भी कब्रिस्तान के एक कोने में उठती हुई धूल को देखा। उसे भी आश्चर्य हुआ कि कहीं हवा नहीं चली। कहीं कोई हलचल नहीं हुई फिर अचानक से ये धूल का बवंडर कैसे उठा। पर वह कब्रिस्तान के दूसरे किन

60आईजी के रौद्र रूप को देखकर सब सन्नाटे में आ गए। मन ही मन में सोचने लगे कि क्या बोलना है। “गोलू भोलू, तुम लोग बताओ तुम लोगों ने क्या किया। क्या क्या सुराग हाथ लगे।” आईजी ने मुखबिरों से कहा। 

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

47डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भ

40“या खुदा, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं रहा कि आज रबी अल-अव्वल माह की पांचवीं तारीख है। एक साल पहले आज के ही मनहूस रोज हमारी हमसफर हमें तन्हा छोड़कर खुदा की खिदमत में हाजिर होने जन्नत के लिए रुखसत हुईं थ

सैमुअल को ऐसी ही तीन चार डिवाइस और शीघ्र तैयार करने के लिए कहा और एकबार फिर से खुशी से चिल्लाया, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” 34 आईजी के बंगले में मीटिंग की शुरुआत हुई। जाँच टीम प्रभारी डीआईजी ढिल्लन व

26“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।” “अशरीरी द्वारा हत्या,  बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर

दिल्ली की निर्भया की मां के संघर्ष पर एक कविता जिसने दरिंदों को फांसी के फंदे तक ले जाकर छोड़ा । उस मां को एक सलाम तो बनता है । दो वर्ष पूर्व लिखी गई  मेरी कविता सवा सात साल का वक्त कोई कम नह

वो बन्द खिड़की मुझे आज भी कोसती है मेरी आत्मा को हर पल झिंझोडती है जहाँ से आती किसी की सिसकियाँ मेरे कानो को हर पल नोचती है। वो बन्द खिड़की जिसके पीछे किसी के दिए संस्कार कराह रहे थे बूढ़े माँ बाप अपनी

मुक्तक-----समराथल में ललकार रही है आज हिंन्द की नारी।दुश्मन शातिर चालाक बड़ा है जागो जनता सारी।।सब टूट पड़ो लेकर धनुष बाण देश के गद्दारों पर।पूरी क्षमता से ढेर करो आताताइयों की कारगुज़ारी।।स्वरचित मुक

शालू के मन में पचासों तरह के खयाल आ रहे थे । नींद कोसों दूर थी । रात के अंधेरे में जब नींद नहीं आती हो और ऐसे किसी गुंडे मवाली का ध्यान दिमाग में चल रहा हो तो कमरे में रखी हर चीज डरावनी लगती है । हवा

2फोरेंसिक टीम ने वहाँ का चप्पा-चप्पा छान लिया पर उन्हें वारदात के बारे में वहाँ से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे थे। अभी भी स्वाभाविक मौत, हत्याअथवा आत्महत्या की गुत्थ

पार्ट - 5 से :-इधर ना जाने कौन कौन से खेल शुरू हो चुके थे। सब अपने आप को इस मकड़जाल से बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर तो रहे थे पर उतना ही ज़्यादा वो इस खेल में फंसते जा रहे थे। और इस खेल का मुख्य किरदार

लिसा के मोबाइल के कॉल डिटेल्स से ये साफ हो गया था कि लिसा के फोन पर आने वाला आखिरी कॉल साहिल का ही था,और इन दोनों के ही फोन का उस वक़्त एक ही लोकेशन पर होना इस बात को और भी पुख्ता कर रहा था कि ,लिसा क

घर आकर अपने बिस्तर पर धम्म से गिरे साहिल का दिमाग एक दम सुन्न पड़ गया था,उसकी समझ में नही आ रहा था की ये सब क्या हुआ...? कुछ देर वो उस घटना के बारे में आंख बंद किये सोचता रहा...फिर एक झटके से उसने आंख

प्रिय पाठकजन... कहानी के दोनों भाग को पढ़कर अपना प्यार देने के लिए आप सभी को धन्यवाद। अब तक आपने पढ़ा तीस वर्षीय खूबसूरत रईस नौजवान लड़का एक सड़क हादसे में अपने होश खो चुका है, उसका इलाज़ जिस हॉस्पिटल में

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