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अपराध

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द्वारपाल ने रोका,ठ़हरो यह देवी जागरण तुम जैसो के लिए नहीं हैं।जाने कहाँ-कहाँ से चले आते हैं। कृपा ने कहा,माँ के दरबार में कोई छोटा-बड़ा नहीं हैं।माँ की दृष्टि सबपर हैं,हम सब संतान हैं। द्वारपाल हँसने ल

विख्यात ने सुना कि किसन का अपहरण,तो चुप न रहा।....नहीं नहीं ऐसा नहीं कर सकता हूँ।किसन मेरा भाई हैं। मित्र:-अरे मित्र यह क्या सचमुच का अपहरण थोड़े ही हैं।हमको पैसे चाहिए,बस पैसे मिले हम छोड़ देगें।हम सबस

ग्रामबासी कर भी क्या सकते थें।सब बदुआ और कोस रहे थें।बच्चे बुरे रास्ते पर चलने का होसला माँ-बाप की सह का ही परिणाम हैं।आज यहाँ कुकर्म किया जाने और कहाँ क्या-क्या करेगा। द्रोण ने कृपा को दर-दर भटकने को

आज प्रतिलिपि सखि कहीं नजर नहीं आ रही थीं । पिछले दो साल से हम लोग आपस में जुड़े हुए हैं । सुख दुख में एक दूसरे से बतियाते रहते हैं । कभी दिल का गुबार निकाल लेते हैं तो कभी खुशियां आपस में बांट लेते हैं

दिनांक: 06.04.2022समय :  रात 11: बजेप्रिय डायरी जी,आज मन बेहद ही क्लांत है। यूक्रेन के बूचा शहर में रूसी सेना ने जो तबाही मचाई है वो दिल दहला देने वाली है। शहर में हर तरफ बिखरी लाशें है। शहर मरघट

संजना....... ये कहानी हैं संजना की...। आजाद ख्यालों वाली.... हर चीज में नम्बर वन रहने वाली... संजना की..। अंशिका:- संजु..... जल्दी कर यार... लेट हो जाएगा..। संजना:- आई.... बस दो मि

सामने अम्मा को देखकर कलेजा जलता था।छोटी बहू छोटी बहू कहकर चिड़ाती थी।किसन को सारे दिन गोदी में बिठ़ाये रहती,पीछे-पीछे फिरती रहती थी।मेरे विख्यात पर कभी लाड़-प्यार से बात तक नहीं की खिलाना तो दूर की बात

विख्यात ने समझ लिया कि अब पोल-पट्टी खुल जायेगी।विख्यात की दृष्टि जम़ीन पर पड़ी ईट पर पड़ी।विख्यात ने ईट उठ़ाई और अम्मा के सिर पर मार दिया।ईट के प्रहार से अम्मा जम़ीन पर धरासाई होकर गिर पड़ी। लड़के ने कहा,

अम्मा:-तू उसके पास जायेगा।वो एकबार भी तेरे पास नहीं आया।द्रोण के रगों में में मेरा ही खून है फिर कैसे खून पानी हो गया।ऐसी औलाद पर लालत हैं।मेरी कोख ही उज़ड जाती। :-अम्मा यह सब तकद़ीर का खेल हैं।इस मनहू

सलोनी की कहानी सुनने के बाद शालू सकते में आ गई । कोई आदमी इतना नृशंस, हैवान भी हो सकता है, उसने सोचा नहीं था । शालू का डर अब और बढ़ गया था । उसने तय कर लिया कि अब वह दिव्या को लेने के लिए उसके घर नहीं

कोमल :- भाभी इतना चुप तो ये कभी नहीं होतीं हैं...। बिमार तो इससे पहले भी बहुत बार हुई हैं लेकिन ऐसे चुप तो कभी नहीं होतीं...। हम बड़ी हास्पिटल लेकर चले क्या इसे...? हीरा :- ठीक हैं कोमल... तुम चि

सौंदर्या वाकई सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी। भगवान ने उसे शायद फुर्सत से बनाया था । मेनका भी अगर उसे देख ले तो शर्म से पानी पानी हो जाये । ऐसी हुस्न परी पाकर घरवाले निहाल ह़ो गये थे । बचपन में पूरे मोहल्ल

शालू कॉलेज में चली तो गई मगर उसका मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लग रहा था । जग्गा की भूखी निगाहें उसका पीछा कर रही थीं । कितनी भूखी लग रही थीं वे आंखें ? जैसे कि मौका मिलते ही उसे निगल जायेंगी । शालू डर के

140“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर द

“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा। “चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इ

हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

भानवी उठ़ी और पास में रखी खेत की दवा पी ली।जब जहर ने अपना असर दिखाया तो भानवी बैचेन होने लगीं।न मुख से आव़ाज निकल रही,न खड़ी हो पा रही थी।छटपटा रही थी,गला भी सूख रहा था।लड़खड़ाते कदमों के साथ रसोई घर में

अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

87इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास दोनों लड़कियों जूली और सुंदरी की जाँच रिपोर्ट आ गईं। रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह व रोहित सकते में आ गए। दोनों लड़कियों का भरपूर यौन शोषण हुआ था और उन दोनों की एक

ने उसको दफ्न कर दिया। एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो पाया।”81“रोइए मत अंकल जी, हम पूरी जाँच करेंगे और सुनंदा को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। आप दीवान जी के पास जाकर

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