साहब, राहुल गांधी जी ने कभी कोई मुख्यमंत्री या किसी सरकारी पदवी का चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें इंदिरा गांधी व अत्यधिक अनुभवी कांग्रेसी नेताओं से तुलना करना वैसे ही है जैसे किसी प्राथमिक विद्यालय के छात्र की किसी प्रकाण्ड पंडित से की जाए। जहां तक भाजपा का सवाल है, उसका
जिससे वह पाकिस्तान को घुटने के बल पर ला सकता है।यह है इंडस वॉटर ट्रीटी अर्थात् सिंधु जल संधि। तब के इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (अब विश्वबैंक) की मौजूदगी में 19 सितंबर 1960 को कराची में
भारतीय मूल के हरिंदर बैंस आजकल अमेरिकी मीडिया में छाए हुए हैं। उन्होंने अमेरिका में ब्लास्ट की प्लानिंग करने वाले संदिग्ध को पकड़वाने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी सूचना पर बैंस ने मैनहट्टन और न्यूजर्सी में ब्लास्ट की साजिश रचने वाले संदिग्
जय हिन्द, जय भारत , जय भारतीय पितृ! भारतीयों, हम सबने अपनी आंखों से देखा कि अंग्रेज़ों से पीछा छुड़ाने में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने दो गुटों में - क्रांतिकारी गुट व शांतिप्रिय गुट - स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी। यदि किसी भी गुट का न
पिछले 2 सालो में देश में हुए तमाम बदलावो को कोई माने या ना माने लेकिन एक बात तो वर्तमान सरकार के धुरविरोधी भी मानते है की दुनिया का भारत को देखने का तरीका बदल है , उनका नजरिया बदला है ! आज जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है ,आज हमारे पडोसी अपनी रननीति बनाते समय भारत
हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ख़ुद पता ही नहीं था कि वह कितने शक्तिशाली हैं और क्या कर सकते हैं, लिहाजा, अपने आपको वह साधारण वानर समझते थे। जब जामवंत ने उन्हें याद दिलाया कि वह तो सूर्य जैसे आग के प्रचंड गोले वाले देवता को बचपन में ही निगल गए थे, तब हनुमानजी को अहसास हुआ कि वाक़ई उनके
सुजीत कुमार--महिलाओं के जिस्म के साथ किया जाने वाला सबसे जघन्य अपराध बलात्कार कहलता है। ये पीड़ित को न केवल शारीरिक रुप से बल्कि मानसिक रुप से भी उसे नष्ट कर देता है। एक महिला के शरीर के साथ बिना उसकी मर्जी के यौन सुख के लिये दुराचार करना या लगातार ये घिनौना कार्य करना न केवल वैयक्तिक गरिमा का बल्कि
कांग्रेस ने तो स्वतंत्रता संग्राम लड़ा है अंग्रेजों के खिलाफ, और उन्हें पता है की देश को किस दिशा में सुख-समृद्धि मिलेगी. परंतु भाजपा के सभी शीर्ष नेता यानि की वाजपेयी-अडवाणी-मोदी पाकिस्तान जैसे शातिर दुश
पसीने से अमोल मोती देखे हैं कहीं ?कल देखा उन मोतियों को मैंनेबेज़ार ढुलकते लुढ़कतेमुन्नार की चाय की चुस्कियों का स्वादऔर इन नमकीन जज़्बातों का स्वादक्या कहा ....बकवास करती हूँ मैं !कोई तुलना है इनकी ! सड़कों पर अपने इन मोतियों की कीमतमेहनतकशी की इज़्ज़त ही तो मांगी है इन्होंनेसखियों की गोद में एक झपकी ले
अकसर अकेली सफ़र करतीलड़कियों की माँ को चिंताएं सताया करती हैं और खासकर ट्रेनों में . मेरी माँ केहिदयातानुसार दिल्ली से इटारसी की पूरे दिन की यात्रा वाली ट्रेन की टिकट कटवाईमैंने स्लीपर क्लास में . पर साथ में एक परिवार हैबताने पर निश्चिन्त सी हो गयीं थोड़ी .फिर भी इंस्ट्रक्शन मैन्युअल थमा ही दीउन्होंने
जिसका मुकुट हिमालय ,पैरो को धोता सागर ।विश्व-गुरु जो मार्ग दिखाए ,खतरे में है उसका आँचल ।।हत्यारा गजनी ने लुटा ,भारत माँ के गहनों को ।देश में बैठे जयचंदो ने ,बेच दिया अस्मत मुगलो को ।।व्यापारी बन आये इंग्लिश ,पुर्त और फ्रांसीसी आये ।पीठ में छुरा घोप हमारे, कर दिया देश परतंत्र ।।वीर शहीद जवानों ने, आ
अगर हम भारत की जनसँख्या को ओलंपिक्स में जीते हुये पदको से तुलना करे तो पूरी दुनिया में भारत से बुरा प्रदर्शन करने वाला कोई दूसरा देश नहीं है. ये सुनकर थोड़ा अजीब लगता है की 1. 2 अरब लोगो का देश खेलो में औसतन एक पदक से भी कम जीत पाया है| एक स्वर्ण एवम 2 कांस्य पदको के साथ बीज़िंग 2008 का ओलिंपिक
मे बताता हूँ कि पाकिस्तान से युद्ध करने से क्यों पीछे हट रहे है मोदी..... ध्यान से पूरा पढना.. यह पोस्ट लाइक्स के लिए नहीं लिखी है, पढ़कर कुछ सकारात्मक लगे, अंतरात्मा जागे तो शेयर अवश्य करें.. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की ये हालत तुम्हारे कुकर्मो का फल है..(कांग्रेस और वामपंथियों) ने कहाँ भारत के रक्ष
भारत के मिसाइल मैन स्वर्गीय डॉ अब्दुल कलाम जी को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन। भारत को रक्षा के क्षेत्र मे आत्म निर्भर बनाने एवं एक विकसित राष्ट्र का सपना देखने वाले माननीय कलाम जी को प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनि श्रद्धांजलि। Rest In Peace
छात्रों के पास से गुज़रती प्रोफेसर के कानो में कुलदीप की एक बात पड़ी। "हमारे पूर्वजो ने तुम्हे बचाया। तुम लोगो के घर-बार और तुम्हारी बहु-बेटियों की इज़्ज़त लुटने से बचाने वाले हम लोग ही थे। अगर हम न होते तो क्या होता तुम्हारे समुदाय का?"प्रोफेसर के कदम थम गए, ऐसा वाक्य उन्होंने पहली बार नहीं सुना था। वो
इसी संदर्भ में Vinay Jha ji विनय झा जी की यह पोस्ट संदर्भित है- भारत मे जितने प्राचीन प्रमाणिक ग्रन्थ उपलब्ध हैं उतने शेष संसार में नहीं हैं | यह दूसरी बात है कि म्लेच्छ और उनके मानसपुत्र ऋषियों के ग्रन्थों को प्रामाणिक नहीं मानते | भारत के सभी पुस्तकालय जला दिए गए, मन्दिरों से संलग्न पाठशालाएं मन्
जिस देश में बेटियां बिकने पर मजबूर हों और बेटे घर परिवार की सुरक्षा के लिए कलम की बजाय बंदूक पकड़ने को मजबूर हो जाएँ, तो ऐसी आजादी बेमानी होने की बात मन में उठना स्वभाविक है. बाजार हो या ट्रेन, या बस हो, कब छुपाकर रखा बम फट जाये, इस दहशत में आजाद भारत में जीना पड़े तो इसे विडंबना ही कहा जायेगा. जहाँ ए
पिछले हफ्ते भारत दर्शन के लिए पहुंचे ऐप्पल के सीईओ टिम कुक ने मोबाइल और लैपटॉप से इतर उससे भी कहीं बड़ा बाजार तलाश लिया है। उम्मीद है कि बहुत जल्द वह इस बाजार पर भी वर्चस्व बनाने की योजना तैयार कर नए प्रतिस्पर्धी बनाएंगे। यह बाजार है ज्योतिष, क्रिकेट और बॉलीवुड फिल्मों का।नई दिल्ली : पिछले हफ्ते भारत