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भूमिका

20 अगस्त 2023

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इस संग्रह मे मेरी सोलह कहानियां जा रही है । मैंने २०० वहानिया लिखी है, जिनमें से इनका चुनाव एक विशेष दृष्टि से किया गया है । इनमें से प्रत्येक के बारे में मैं अलग से लिख चुका हू । इसके बाद और क्या लिखने को रह जाता है यह मै नहीं समझ पाता ।

श्राज यह माना जाता है कि हिन्दी में कहानी बिकती नही है। लेकिन यह एक अद्भुत बात है कि कहानी के क्षेत्र में हिन्दी ने जितनी प्रगति की है वह भी अद्भुत है। इस क्षेत्र में न केवल कथावस्तु की दृष्टि से बल्कि शिल्प की दृष्टि से भी वह बहुत आगे बढ़ी है। आज के नवयुवक कथाकारों मे ऐसे भी है जिनपर कोई भी भाषा गर्व कर सकती है। मेरे जैसा व्यक्ति तो उनके सामने बिल्कुल फीका पड़ जाता है। फिर भी इतिहास की दृष्टि से प्रत्येक युग का मूल्य होता है । इसीलिए यह संग्रह पाठकों के सामने आ रहा है ।

मुझे आशा करनी चाहिए कि ये कहानियां पाठकों को एकदम निराश नहीं करंगी। यह तो नही कहा जा सकता कि ये कहानियां मेरी कला का उत्कृष्ट नमूना है लेकिन फिर भी यह सत्य है कि ये कहानियां बहुत कुछ मेरा प्रति- निधित्व करती है । इनमें जो कहानी मैंने सबसे पहले लिखी वह 'आश्रिता' है और उसका रचना-काल १६३७ है । सबसे अन्त में लिखी गई कहानी 'ठेका' है जो सम्भवतः सन् '५६ में लिखी गई है। शेष कहानियां उसके बीच की हैं। सन् '५६ के बाद मैंने दो-चार कहानियां ही लिखी होंगी। इस दृष्टि से मैं समझता हूं कि लगभग बीस वर्ष के मेरे साहित्यिक जीवन की ये कहानियां दर्पण है । इससे अधिक कहने को न कुछ है न आवश्यकता ही है ।

अन्त में इन कहानियों की रचना के पीछे जो प्रेरक शक्तियां रही हैं उन्हें मैं अपना विनम्र और मूक प्रणाम निवेदन करता हूं ।

रक्षा बन्धन

१८ अगस्त, १९५६

— विष्णु प्रभाकर

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रचनाएँ
धरती अब भी घूम रही है
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‘पद्यमभूषण’ से सम्मानित लेखक विष्णु प्रभाकर का यह कहानी-संकलन हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसमें लेखक ने जिन चुनिंदा सोलह कहानियों को लिया है उनकी दिलचस्प बात यह है कि अपनी हर कहानी से पहले उन्होंने उस घटना का भी उल्लेख किया है जिसने उन्हें कहानी लिखने की प्रेरणा दी।
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भूमिका

20 अगस्त 2023
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 इस संग्रह मे मेरी सोलह कहानियां जा रही है । मैंने २०० वहानिया लिखी है, जिनमें से इनका चुनाव एक विशेष दृष्टि से किया गया है । इनमें से प्रत्येक के बारे में मैं अलग से लिख चुका हू । इसके बाद और क्या

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अध्याय 1: धरती अब भी घूम रही है

20 अगस्त 2023
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इस कहानी की प्रेरणा मुझे अचानक ही नही हुई। हमारे सामाजिक जीवन में जो भ्रष्टाचार घर कर गया है, उसके सम्बन्ध में अनेक घटनाओं से मुझे परिचित होने का अवसर मिला है, और उनका जो प्रभाव मुझपर पडा, उहीका साम

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अध्याय 2: अगम अथाह

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 स्वतन्त्रता प्राप्ति से कुछ पूर्व से लेकर कुछ बाद तक जो नरमेध यज्ञ इस देश हुआ 'उसको मैने बहुत पास से देखा है। उसीकी एक झलक इस कहानी में हैं । अपनी ओर से मैने इसमें बहुत कम कहा है । गाड़ी ने सीटी द

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अध्याय 3: रहमान का बेटा

20 अगस्त 2023
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 पंजाब के एक छोटे-से कस्बे में सरकारी नौकरी करते हुए मैने वहां के निम्न वर्ग को काफी पास से देखा। इधर-उधर उनमें जो चेतना जाग्रत हो रही थी उसका अनुभव किया और एक दिन यह कहानी लिख बैठा । एक ही बैठक में

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अध्याय 4: गृहस्थी

20 अगस्त 2023
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पहली अन्तर्राष्ट्रीय कहानी - प्रतियोगिता में जिन हिन्दी कहानियों को पुरस्कार मिला है उसमें गृहस्थी को चौथा पुरस्कार मिला। इस कहानी के पात्रों को मैंने बहुत पास से देखा है। इससे ज्यादा इसके बारे मे मै

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अध्याय 5: नाग-फांस

20 अगस्त 2023
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इसका आधार कोई घटना विशेष नही बल्कि यह एक विचार से अनुप्राणित है। वह यह कि आज की मां जिस ममता का ढोल पीटती है वह सन्तान के प्रति प्रेम नही बल्कि मोह है जो अपने स्वार्थ के कारण पैदा हुआ है। सन्तान के ल

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अध्याय 6: सम्बल

20 अगस्त 2023
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 यात्रा करने का मुझे शौक है। किसी यात्रा में ऊपर के बर्थ पर पड़ा सो रहा था तब एकाएक जागकर सुना कि नीचे की बर्थ पर बैठे हुए दो व्यक्ति बड़े करुण स्वर में किसी व्यक्ति का मृत्यु की चर्चा कर रहे हैं। औ

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अध्याय 7: ठेका

20 अगस्त 2023
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 पहली कहानी की तरह इस कहानी की प्रेरणा भी समाज में फैले नाना विध भ्रष्टाचार से मिली। यह किसी एक व्यक्ति की कहानी नही है बल्कि अनेकानेक व्यक्तितो का प्रतिनिधित्व करने वाले एक ठेकेदार की कहानी है। साध

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अध्याय 8: जज का फैसला

20 अगस्त 2023
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 इस कहानी का आधार भी एक विचार है और इस विचार के कई रूप हो सकते है । मैं इन सब रूपों को लेकर लिखना चाहता था लेकिन अभी तक लिख नहीं पाया। यह प्रेम की उत्कटता का एक रूप है। इस कहानी का रेडियो रूपान्तर भ

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अध्याय 9: कितना झूठ

20 अगस्त 2023
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यह मेरे अपने जीवन का एक पृष्ठ है। निशिकांत की प्रांखें रह-रहकर सजल हो उठतीं और वह मुंह फेरकर सड़क की श्रोर देखने लगता, मानो अपने प्रांसुत्रों को पीने की चेष्टा कर रहा हो । सड़क पर सदा की तरह अनेक नर

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अध्याय 10: अधूरी कहानी

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हिन्दू-मुस्लिम समस्या भारत की एक शाश्वत समस्या बन गई है। पाकिस्तान बन जाने पर भी इस समस्या का हल नही हुआ। इस कहानी में मैंने उस समस्या की जड़ में जाने का प्रयत्न किया है। बेशक समस्या का यह एक पहलू है

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अध्याय 11: आश्रिता

20 अगस्त 2023
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'आश्रिता' एक विचार का परिणाम है। इस संग्रह में जितनी कहानियां संगृहीत हैं उनमें शायद यह सबसे पहले लिखी गई है। इसका रचनाकाल १६३७ है। उन दिनों मेरा जैनेन्द्र जी से परिचय हुआ ही हुआ था। मुझे याद है इस कह

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अध्याय 12: मेरा बेटा

21 अगस्त 2023
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'अधूरी कहानी' की तरह इसकी प्रेरणा भी मैने हिन्दू-मुस्लिम समस्या में से पाई है। पंजाब में रहा हूं और इस समस्या की भयंकरता को मैंने देखा ही नहीं भोगा भी है। कैसे-कैसे इस समस्या ने मेरे मस्तिष्क पर प्रभ

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अध्याय 13: अभाव

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'अभाव' दो मित्रों के बीच हुए एक विवाद का परिणाम है। इस कहानी के प्रोफेसर मेरे वही मित्र हैं और मैं कहूंगा उन्होंने जो घटना मुझे सुनाई उसको बस मैने अपने शब्दों में लिख भर दिया। इस कहानी को लेकर भी का

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अध्याय 14: हिमालय की बेटी

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हानी मेरे बड़े भाई ने मुझे सुनाई थी। शायद इसकी नायिका अभी भी जीवित है । मेरी कल्पना में कुछ रंगना, हो सकता है, आ गई हो, लेकिन मूल घटना वैसी की कैसी ही है। दूसरा अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इसको त

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अध्याय 15: चाची

21 अगस्त 2023
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 इसे शायद मैं कहानी नही कहना चाहूंगा। यह एक व्यक्ति का चित्र है। वह व्यक्ति हमारी तरह हाड़-मांस का व्यक्ति था। कल्पना का नही। कुछ लोगों ने इस स्केच को मेरी पहली कहानी 'धरती अब भी घूम रही है' से अधिक

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अध्याय 16: शरीर से परे

21 अगस्त 2023
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दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इसे प्रथम पारितोषिक प्राप्त हुआ। इस कहानी को लेकर जितना मतभेद दिखाई देता है उतना शायद किसी ही कहानी को लेकर हुआ हो । किसीको यह कहानी भुलाए नही भूलती। किसीको मेरी

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