भाग 41
शैतान पर गोलियां चलता हुआ देख आए हुए पुलिस अधिकारी जो भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करते थे वह आश्चर्य चकित रह जाते हैं ,उनके सामने हो वह सुवर बना और अब फिर उसके चिथड़े उड़ गए तो वह तुरंत ही बैल बन जाता है ,और तेज़ी से आगे बढ़ता है ,तो आगे मटके वाला लड़का उस पर मटका फोड़ता उसके पहले ही वह उसे अपनी सींगो में फसाकर ऊपर फेक देता है ,*"!!!
पर मटका उसके ऊपर ही गिरता है ,जिस से उसका शरीर फिर जलने लगता है , इस बार बिना मौका गवाए आगे के मटके वाला लड़का अपना मटका लाकर उस पर पटक देता है उसके कारण वह बुरी तरह से छटपटाने लगता है ,वह शरीर बदलना चाहता है तभी केवल नाथ आकर उसके ऊपर अभिमंत्रित अक्षत फेकते हैं तो वह रूप नही बदल पाता है और जलता हुआ चीखने लगता है , तभी नरेंद्र भी आकर उस पर सरसो फेकते हैं तो वह एकदम से विचलित होकर वही जोर जोर से घूमने लगता है ,लोग थोड़ा दूर हो जाते हैं क्योंकि इस समय जो भी उसे मिलेगा वह बच नहीं सकता था ,*"!!!
गांव वाले भी कोश में आकर मंत्र जोर जोर एस पढ़ने लगते हैं , बाकी बचे हुए मटके भी उसपर लाकर पटक दिया जाता है ,तो वह एकदम से चिंघाड़ उठता है ,और वह लोगो की ओर भागता है ,तो पुलिस वाले उस पर फायरिंग करने लगते हैं , *"!!!
केवल नाथ और नरेंद्र दोनो जोर जोर से मंत्र पढ़कर ठाकुर साहब के शव पर फेकने लगते हैं , तो वह फिर अपनी जगह पर रुक जाता है ,उसके कदम वही रुक जाते है , उसका। शरीर जल रहा था, केवल नाथ अंतिम सरसों के दाने जैसे ही फेकते हैं ,वह चीखता हुआ उनकी ओर तेज़ी से आता है ,!!!
वह क्रोधित होकर सीधे ठाकुर साहब के शव के सामने आकर खड़ा होता है और गुर्राने लगता है ,वह गुर्राते हुए कहता है,*" मुझे जाने दे अन्यथा बहुत बुरा होगा में पूरे गांव को तबाह कर दूंगा किसी को नही छोडूंगा ,*"!!!!
केवल नाथ कहते हैं *" तु बचेगा तब तो सभी को मारेगा , आज तेरा अंतिम समय चल रहा है , जितना उछलना है उछल ले ,*"!!!
तभी उनके शिष्य उस पर अभिमंत्रित अक्षत और रोली सिन्दूर फेकना शुरू करते हैं , नरेंद्र भी उस पर सरसो फेकते हैं ,वह एकदम छटपटाने लगता है , वह फिर से अपने विकराल रूप में आ जाता है , और गुस्से में हाथ बढ़ाकर एक शिष्य को जोरदार थप्पड़ मारता है तो उसकी गर्दन टूट कर दूर जा गिरता है और उसके धड़ से खून का फ़ौवारा छूटता है ,तो शैतान अपनी जीभ को बढ़ाकर उसका रक्त पीने लगता है , यह दृश्य देख सभी चिल्लाने लगते हैं और उस से दूर भागते हैं ,चारो ओर भगदड़ मच जाती है , इसके पहले जिस लड़के को बैल बनकर उछाला था उसकी भी हालत दयनीय थी , उसे पुलिस की गाड़ी में डालकर हॉस्पिटल ले गए थे ,*"!!!
दो एंबुलेंस और एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी मांगा लिया गया था , शैतान उसका खून पीकर खड़ा होता है ,केवल नाथ गुस्से में पागल हो उठते हैं उसने उनके प्रिय शिष्य को अचानक से मार दिया था ,*"!!!
सीता देवी और ज्योति भी वहां आ कर दूर से देख रहे हैं ,ज्योति भी घबराई हुई है , !!
केवल नाथ उसके सामने मंत्र पढ़ना शुरु करते हैं ,और फिर अपने एक उंगली को हल्का सा काटकर उसका रक्त शव पर गिराने लगते हैं और नरेंद्र को इशारा करते हैं ,तो वह तुरंत ही गंगा जल का पानी उसपर छिड़कते हैं और बाकी शिष्य उस पर अभिमंत्रित सरसो फेकना शुरू करते हैं ,केवल नाथ सभी को पीछे हटने का इशारा करते हैं , !!!!!
शैतान चीखना शुरू करता है उसका शरीर भी भस्म होने लगता है ,वह थोड़ा सा आगे बढ़ कर केवल नाथ को पकड़ने का प्रयास करता है तो उनका एक शिष्य अभिमंत्रित तलवार से उसका हाथ काटता है ,उसका वह हाथ हवन कुंड में गिर जाता है और भभक कर जल उठता है ,तो केवल नाथ उस पर एक मुट्ठी सरसो मंत्र फुक कर उसके ऊपर फेकते हैं तो वह चीखने लगता है , और उसने जितने भी रूप और शरीर बदले थे सब एक एक करके दिखाई देता हैं ,और फिर अंत में ठाकुर साहब के शव में घुसता है ,तो उनका शव धू धू कर जलने लगता है, सीता देवी यह देख चीख उठती है ,और फिर से बेहोश हो जाती हैं , *"!!
केवल नाथ नरेंद्र और उनके बचे शिष्य उसके चारो तरफ घूमते हुए मंत्रोचार करते हुए दूर से ही अक्षत और सरसो फेकते हैं ,
शैतान एक बार अपनी पूरी शक्ति लगाकर उड़ने का प्रयास करता है पर तब तक केवल नाथ अपने शरीर मे पहने एक रुद्राक्ष का दाना निकल कर मंत्र पढ़कर उसके ऊपर फेकते हैं ,!!!
रुद्राक्ष के टकराते ही उसकी सारी शक्ति खतम सी हो जाती हैं ,और वह जमीन पर गिर जाता है , और ठाकुर साहब का शव पूरी तरह से रख हो जाता है और उसके साथ ही शैतान भी भस्म हो जाता है ,
शैतान के समाप्त होते ही सभी खुशी से नाच उठे थे , केवल नाथ बाबा वही बैठ कर रोने लगते हैं उनका पुत्र समान शिष्य चला गया था ,एक मित्र पागल तांत्रिक भी चला गया था ,उधर सीता देवी को अपने पति के शव को सही प्रकार से दाह संस्कार न कर पाने का गम बहुत था, वीर सिंह और एस पी साहब भी उदास हो जाते हैं क्योंकि वह मारा तो गया पर काफी जान माल का नुकसान करके ,सभी लोग सब कुछ भूलकर शैतान के मरने का उत्सव मनाने लगते हैं ,सर्वेश ठाकुर अपने मां और बहन को सम्हालने लगता है , *"!!!!