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<div align="left"><p dir="ltr">मानव शरीर में तीन अंग महत्वपूर्ण और प्रमुख हैं__<br> मस्तिष्क, हृदय औ
<div align="left"><p dir="ltr">मैं द्रौपदी,कितना असहज था ये स्वीकारना कि मेरे पांच पति होगें, माता क
<div align="left"><p dir="ltr">चींटी ने भारत के राष्ट्रपति को फोन किया.....<br> राष्ट्रपति जी के टेब
<div align="left"><p dir="ltr">सुबह से रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है और अतुल अपने कमरें की खिड़की से
<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">अरे,सुबह के चार बजे का
<div align="left"><p dir="ltr"><b>गणित</b> के समीकरणों की तरह हमेशा रिश्तों को हल ही तो करती आई हूँ
<div align="left"><p dir="ltr">कसूर मेरा ही हैं,<br> पुरूष प्रधान इस दुनिया में<br> जिस पुरुष को मैं
<div align="left"><p dir="ltr">हल्की बारिश हो रही थी और रात के करीब आठ बज रहे थे ,भार्गव अपनी मोटरसा
<div align="left"><p dir="ltr">ये लीजिए मिर्जा साहब! सबकी नजरें बचाकर कुछ जलेबियां आपके लिए छुपा ली
<div align="left"><p dir="ltr">मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, शिकायत तो तब होगी ना,जब कोई सुनने वा
<div align="left"><p dir="ltr">बात उस समय की है जब मैं बीस साल का था,मैं अपने नानिहाल गया था,नानी और
<div align="left"><div align="left"><p dir="ltr">रामू भागते हुए आया.....और जोर से चीखा फिर एकाएक बेह
<div><br></div><div><span style="font-size: 16px;">भारत माता ही मेरी माता है, मैं गंगा हूं।वह स्वर्ग
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रकृति मानव की चिर सहचरी रही है,इसका मूल कारण यह है कि म
<div align="left"><p dir="ltr">हैलो !अंकल!<br> मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी
<div align="left"><p dir="ltr">मुझे एक सच्ची घटना याद आती है,ये बहुत समय पहले की बात है मैं तब आठ-नौ
<div align="left"><p dir="ltr"> प्यार करने वालों के बीच लड़ाई होना आम बात है,लेकिन, इस झगडे़ को
<div align="left"><p dir="ltr">शरीर जब पैदा होता है, तो वह कभी बचपन, कभी जवानी और उसी तरह बुढ़ापा मे
<div align="left"><p dir="ltr">अगर जीवन के किसी मोड़ पर चलते चलते आपको ठोकर लग जाए और थोड़ी देर के ल
<p dir="ltr"><b>सत्य की जीत</b><br> <b>(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी)</b></p> <p dir="ltr">"सत्य की जीत"
<div align="left"><p dir="ltr">हमारे मुहल्ले में सावित्री अम्मा रहा करतीं थीं,वो हमारे मुहल्ले की सब
<div align="left"><p dir="ltr">ईश्वर ने जब संसार की रचना की तब उसने रचनात्मकता के शिखर पर नर और नारी
<div align="left"><p dir="ltr">जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे द
<div align="left"><p dir="ltr">आदर्श एक वाणी सम्बन्धी कलाबाजी है,जो कि मुझे नहीं आती,<br> मैं तो हूं
<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">ये मेरे बचपन की बात है,
<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">चल राजू तैयार हो जा, रा
<div align="left"><p dir="ltr">सफलता मात्र असफलता का विरोधाभास नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के मन मे
<div align="left"><p dir="ltr">आज लुट चुकी थी उसकी हर खुशी,<br> जब उसके सामने पति की अर्थी उठी,<br>
<div align="left"><p dir="ltr">वृक्ष का संबंध मनुष्य के आरंभिक जीवन से है, मनुष्य की सभ्यता इन वृक्ष
<div align="left"><p dir="ltr">अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर?<br> समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।।
<div align="left"><p dir="ltr">लम्बे देवदारों का झुरमुट झक-झुककर गेठिया सैनेटोरियम की बलैया-सी ले रह
मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीरामचंद्र के धनुष तोडऩ
“विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं”-- स्वामी विवेकानन्द.. आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है,यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेग