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बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-72 *बिषय-न्योरे*
संयोजक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
दिनांक-30-7-2022
*प्राप्त प्रविष्ठियां:-*
*बिषय-न्योरे*
*1*
न्योरे-न्योरे हय लगै, सब खेतन में धान।
पेट भरै सबको सदा, भूखौ मरै किसान।।
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-गीता देवी, औरैया
*2*
न्यौरे जो जितनें रहें, उतनें ऊँचे होंय।
तने तना से तन रहें, सुनो रूख सम ढोंय।
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-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*3*
झुकते मंदिर में सभी, दरसन करनें जाय ।
परत पाँव कछु न्योर कैं ,कछु औदे पररांय ।।
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-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
*4*
भुंसारे से भीर है, महाकाल के धाम।
शिव मंदिर में भक्त जू, न्यौरे करें प्रणाम।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्त, बड़ागांव, झांसी
*5*
चलन चलन की चाल से, चलत अनादर मान।
*मूरख जन उचटे फिरैं, न्यौरे चलत सुजान।।
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-मनोज साहू, नर्मदापुरम
*6*
न्योरें-न्योरें राम नें,खॅंजड़ो ऐंसो बान।
अदबिन्टो बाली भओ,लग गव धूरा खाॅंन।।
-भगवान सिंह लोधी अनुरागी, हटा
(नोट-बारीकी - बान और खाँन तुकांत में चंद्र बिंदु का उच्चारण विषय बनेगा )
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*7*
जवानी के मद भूल के,पाप चड़ा रय बयोरे।
आय बुड़ापो रोउ ने,फिरने नयोरे नयोरे।।
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-गुलाब सिंह यादव,लखौरा
(चरणों में कलन और मात्राभार सही नहीं है )
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*8*
न्योरे सें नोनें लगे, रूख सबइ फलदार।
जैसें सज्जन शील सें,झुकतइ बारम्बार।।
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-आरके प्रजापति,जतारा
*9*
सरग तारे गिनत हतै,जब ज्वानी की रात।
अब न्योरे न्योरे निगत, भूल गये औकात।।
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-बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला
*10*
न्योरे न्योरे चले आईयो , नेचो है दरबाजो ।
जा घर के दरवाजे न्योरे, वा घर कितनों साजो।।
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-सत्यपाल यादव,बडा मलेहरा
(चरणों में मात्रा भार और , सम चरण तुकांत 21 नहीं है )
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*11*
गगरी न्योरे कूप में , भरतइ जल खुद आन |
यैसइ हम तुम पा सकत , गुनियन से गुन ज्ञान ||
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-सुभाष सिंघई ,जतारा
*12*
न्योरे-न्योरे लै गए,रात ऊँट खों छोर ।
जनता भोरी का करे,नेतन की लमडोर ।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर, गंजबाशोदा
*13*
न्योरें न्योरें बउ चलीं,माता खों रइ ढार।
हात ज़ोर विनती करें,खुशी रहे परिवार।।
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-आशा रिछारिया,निबाड़ी
*14*
माॅंगन लछमन राम खौं ,राजमहल मुनि आय ।
नृप दशरथ नें न्योर कैं, चरनन शीष नवाय ।।
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-आशाराम वर्मा नादान',निबाडी
*15*
बड़ी बात कैसें छिपै,जाँन जात सब कोय।
न्योरे न्योरे ऊँट की,चोरी कबउँ न होय।।
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-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
*16*
चोरी करतन पकर गय,घली खेंच कें मार।
न्योरे न्योरे वे फिरें,लयँ कलंक कौ भार।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निबाड़ी
(अभी तक चल रहा है , पर बारीकी यह है कि आगे से सही लिखना है )
(पकर शब्द नगण है व नगण का वाचिकभार 12 होता है ,
इस तरह यति 122 हो जाती है
(गय पकर )लिखना सही होगा )
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*17*
न्योरे रत ताजिन्दगी, गोड़त खेत-खदान।
कड़त मजूर किसान के, न्योरें-न्योरें प्रान।
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गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा
*18*
छोटी दुल्हन जानकी,लंबे दूला राम ।
वरमाला की बिबूचन, देख न्योर गय राम।।
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-संजय श्रीवास्तव,मबई
(तीसरा चरण - बिबूचन - 1211 )
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*19*
दरस- परस न्योंरे करो, करलो न्योंर प्रणाम।
अदब, मान-सम्मान से, लेव बड़न को नाम।
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-अमर सिंह राय,नौगांव
*20*
न्योरे हो कें बीन लय , हमने मउआ ऐंन।
इतने मउआ बीनबे , जागे पूरी रेंन।।
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-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
*21*
हात जोर न्योरे फिरै , गलती सबइ मनायँ।
अब सरपंची जीत कें,छाती फिरत फुलायँ।।
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एस आर सरल, टीकमगढ़
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