*बुन्देली दोहा प्रतियोगिता-१३२*
#शनिवार#दिनांक३०.०९.२०२३#
*संयोजक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"*
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्रदत्त बिषय-कागौर*
*1*
पुरखन कौ तरपन करत , भोग बनत कागौर |
श्रद्धा से इस लोक की , श्राद्ध जात उस ठौर ||
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-सुभाष सिंघई , जतारा
*2*
गौर करौ कागौर पै,दो पुरखन खों ठौर।
पुरखा भोग लगाय लें,फिर कौवन कौ कौर।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*3*
पितरन कौ न्यौतौ करौ, छत पर धर कागौर।
ध्यान धरौ पूजौ उनें, वे अपने सिरमौर।।
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- संजय श्रीवास्तव* मवई 😊दिल्ली
*4*
कभउॅं मतारी बाप खों,मिलो न घर में ठौर।
मरें सपर रये गॅंग में ,उर डारें कागौर।।
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", हटा
*5*
जियत बाप खौं नहिं दियौ, जीनें एकउ कौर।
करय दिनन में दै रहे, लगा लगा कागौर।।
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-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*6*
पानी दै कागौर से,बता रये आराध ।
जियत जियत पूंछी नई,कर रय मरें सराध।।
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-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*7*
जियत मताई-बाप की, करौ खुशामद यैंन।
बिन तेरइंँ कागौर के,मिलै सबइ सुख चैंन।।
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-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*8*
कुवांर के पितृपक्ष में पितरों का करते तर्पण।
खीर पूड़ी का कागरो काग को करते अर्पण।।
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-शील चंद जैन टीकमगढ़
*9*
कौअन खों कागौर सें , पुरखन खुशी अपार।
इनइं दिनन बे आत हैं , अपने ही घर द्वार।।
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-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़
*10*
करय दिनन में प्रेम सें, काड़त हैं कागौर।
जिंदा में नइँ देत हैं, खावे जूँठौ कौर।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*11*
जी दिन सें पुरखा लगे, रोज कड़त कागौर।
माल छानरय हूंक कें , हतो न कोंनउँ ठौर।।
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प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष ,टीकमगढ़
*12*
पुरखा न्योत बुलाइये, श्रद्धा सें कर जोर।
सोलह दिन इनके नियत,काड़त रव कागोर।।
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-आशा रिछारिया, निवाड़ी
*13*
पंचायत कउआ करें, देख आज को दौर।
पुरखन को अपमान जां, नइं खानें कागौर।।
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रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*14*
पितर-पूजकैं नित अबे, बिनय करौं कर-जौर।
पानी दैंकें पक्ष में, रोज धरौं कागौर।।
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*15*
माइ बाप खों दैय जो,जिन्दा में दो कौर।
पुरखा ऊ के प्रेम सें,सब खेंहैं कागौर।।
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-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*16*
मौराई छठ खौं सिरत , नदी ताल में मौर।
कौआ कूकर गाय खौं , करय दिनन कागौर।।
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आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*17*
श्राद्ध करौ तर्पन करौ, काड़ देव कागौर।
पितरों सें हो लो उरिन,मिलै सुरग में ठौर।।
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-रामानन्द पाठक 'नन्द' नेंगुवाँ
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