*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143*
*संयोजक- राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह.
*विषय -लच्छन* दिनांक-16/12-2023.
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
जी घर में बउ लच्छमी, ऊके सब गुन गात।
बउ बिटिया लच्छन बिना,कंडी सी उतरात।।
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- एस आर 'सरल',टीकमगढ़
*2*
लच्छन सुन कें सीय के, भरे सुनैना नैन।
सीता ब्याहे राम खों, बोले नारद बैन।।
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रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*3*
रंग रूप पुजबैं नहीं , लच्छन पूजे जात।
लच्छन साजे होंय सो,जगत मानबै बात।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*4*
लच्छन वारी लच्छमी,जीकै घर आ जाय ।
दिन दूनी सम्पत बढै,सबकौ मान बढाय ।।
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- शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*5*
रावन कौरव कंश के, लच्छन हते खराब।
जैसें बदबू सें भरे,लासन प्याज शराब।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*6*
साजे लच्छन पूत के, पलना में दिख जात।
बनकें ध्रुव प्रहलाद बे,जग खाँ गैल बतात।।
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-रामानंद पाठक, नैगुवा
*7*
लच्छन में है को कहां खुशियन की है रैंक।
भारत एक सौ छब्बीस पे, फिनलैंड पैली रैंक।।
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- रामकुमार गुप्ता, हरपालपुर
*8*
अच्छन-अच्छन के दिखे, लच्छन भौत खराब।
लुकैं-लुकैं ताकैं जनी, छुप-छुप पियें शराब।।
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-संजय श्रीवास्तव,मवई(दिल्ली)
*9*
चालाकीं बेमान की, मूरख कौ बतकाव।
लच्छन इनकें देख कें, दूरइ इन सें राव।।
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~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*10*
लच्छन सीखौ चार ठौ , भलै बुरय कौ ज्ञान |
जगजगात जीवन जियौ, सुमरत रवँ भगवान ||
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-सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
नोने लच्छन कै बुरय,बचपन में दिख जात।
होनहार विरवान के,होत चीकने पात।।
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-आशा रिछारिया,निबाडी
*12*
लच्छन सुदरें तौ बने,सबरे बिगरे काम।
बिन लच्छन बन पांय ना,जग में सीता राम।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा( टीकमगढ़)
*13*
शरम करौ लच्छन बिना , जीवन है बेकार
मानव जनम सुधार लो , जीवन कौ जौ सार
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- वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*14*
पातर चमड़ी चीकनी, चमकदार हों बार।
लच्छन जी गउ में दिखैं,समझौ उऐ दुधार।।
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अमर सिंह राय, नौगांव