133 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता नंबर =१३३
संयोजक- राजीव नामदेव राना लिधौरी
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बिषय--ठगिया
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
ठगिया बन्ना होय तौ ,ठगौ राम कौ नाव ।
और ठगे में का धरौ ,जीवन मुक्ती पाव ।।
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-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*2*
ठगिया बनकें का करौ , हो जैहौ बदनाम।
बात मान लो सेठ जी , कैरय लोग तमाम।।
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-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*3*
ठगिया बातन आयकें, भूल न करियौ कोय।
मन लोभी ठगहीं सुनौ, लुटत सबहिं फिर रोय।।
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-प्रदीप खरे 'मंजुल'टीकमगढ़
*4*
ठगिया सबरो है जगत,भरमाउत रत नित्त।
राम नाम सुमिरन करो,निरमल हो जै चित्त ।।
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-आशा रिछारिया,निवाड़ी
*5*
माया के भोंजार सैं , कोउ न पाबै पार।
ठगिया भी ठग जात जब, देत मोहनीं डार।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*6*
ठगिया हैं बहुरूपिया, ठगैं बदलकैं रूप।
सूरज बनकैं बैंचदैं, भरी दुपरिया धूप।।
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-संजय श्रीवास्तव* मवई😊 मुंबई
*7*
खून पसीना डारकें, करी कमाई जोन।
ठगिया करकें लै गओ,एक लाबरौ फोन।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
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*8*
ठगिया ठेंकर सें ठगें, कर- कर कैउ उपाय।
सोने खों पीतर कयें,पीतर स्वर्ण बताय।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*9*
नींद उड़ी हय रात की, उड़ गौ दिन को चैन।
धक-धक हौत करेजवा, ठगिया थे बे नैन।।
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-गीता देवी, औरैया
*10*
ठगिया नेता देश में , टाँड़ी से उतरात |
चूहन जैसी हरकतै , बजट कुतर कै खात ||
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-सुभाष सिंघई ,जतारा
*11*
ठगिया इस संसार में भांति भांति के लोग ।
बिना ठगे ही भोगिये इस पृथ्वी के भोग।।
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-शीलचंद जैन, टीकमगढ़
*12*
ठगिया की बगिया बड़ी,जी के हम हैं फूल।
ठगिया मन कौ मीत हो,लूं बायन में झूल।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा (टीकमगढ़)
*13*
सूदे सरल किसान सब,मेंनत करकें खायँ।
ठगिया बेपारी तऊ,पेटै छुरी चलायँ।।
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- डां देवदत्त द्विवेदी, बडामलेहरा
*14*
चुपर-चुपर बातें करें,लव छोड़ों बतकाव।
चौतरफा आँखें चला,ठगिया देखत दाव।।
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एस आर सरल ,टीकमगढ़
*15*
ठगिया भर दुपरै ठगै,डार मोहनी जाल।
बचा न पाबै वार सें,कौनउँ बख्तर ढाल।।
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गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*16*
मन बैरी ठगिया बनों,कैंसे बांधूं धीर।
गांव पुरा के लखैं सब,भजो नहीं रघुवीर।।
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-मूरत सिंह यादव,ग्राम लमायचा( दतिया)
*17*
ठगिया जो संसार सब, ठगत रहत दिन रैन।
माया में मन भूलकैं, मिलत न ओखों चैन।।
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- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*18*
माया ठगनी ठग रही,दिखा रही प्रभाव।
कइयक ठगिया ठग गये,कई लगा रय दाव।।
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- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*19*
मोहन हैं ठगिया बड़े,बंसी सें ठग लेत।
राधा ई कौ उरानों, मोहन खों नइँ देत।।
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अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
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