*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-136*
*जय बुंदेली साहित्य समूह, टीकमगढ़*
दिनांक -28/10/2023.
*बिषय- न्यौरे*
*प्राप्त प्रविष्टियां :-*
*1*
न्योरे न्योरे कड गई,उरबतियन की छांय।
बैठो रो में घरी भर,उनकी आश लगांय ।।
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-मुन्ना सिंह तोमर,भोपाल
*2*
बज्जुर सी छाती रई, ज्वानी में गर्राय।
न्यौरे- न्यौरे अब चलें,जब सें गै बुढियाय।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*3*
न्योरे न्योरे ऊब गय , कैसें हुइये काम।
शेष बचो बौ बाद में , पहले अब आराम।।
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-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
*4*
न्योरे-न्योरे होत नइ, दाऊ चोरी ऊँट।
कैंसे काटो रूख जो, बच नें पाओ ठूँट।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*5*
न्योरे चोरी ऊँट की , कभउँ कितउँ ना होत |
जीकौ पेट पिरात है , बौ डिड़या कै रोत ||
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-सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
न्योरे -न्योरे जो करें, बड़े बड़ों सें बात।
जग में वे हनुमान से,सबके दिल में रात।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*7*
हनुमान श्री राम खों ,न्योरें करें प्रणाम ।
आन विराजो ह्रिदय में , राघव सीता राम ।।
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-शोभारामदाँगी, नदनवारा
*8*
न्योरे- न्योरे ढूँढ़ रय,वे जीवन कौ राज।
कैसें कड़ गइ जिंदगी, आव वुढ़ापौ आज।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*9*
विनत लखन खों थामबे, न्योरे जइँ सें राम।
वरमाला सिय डार दइ,हौन लगे शुभ काम।।
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-रामानंद पाठक, नैगुवां
*10*
पैलां के दोरे हते,न्योरे ही कड़ पांय।
दोरे में जो जो कड़ें,न्योरें मूंड़ नबांय।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*11*
न्यौरे घुसेँ अटाइ में , भुसा भरो गय काँप ।
मूँतयाव जब देख लव , फूँसत करिया साँप ।।
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-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
*12*
बड़ी बात तौ नइँ छिपत,जांन जात सब कोय।
न्योरें न्योरें ऊँट की,चोरी कैसें होय।।
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- डां. देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*13*
नेता जू न्योरे फिरें, रय चरनन में लोट।
कत जनता भगवान है,माँगै वोट सपोट।।
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एस आर सरल,टीकमगढ़
*14*
सीमा पै ठाॅंड़े पिया ,अपनों सीना तान ।
न्योरे-न्योरे खेत में , धना नींद रइॅं धान।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*15*
न्योरें कुबरी फिर रई,लख शत्रुघन इठलात।
गिरतन टूटे दांत सब,हुमक घली जब लात।।
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-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*16*
घूंटन लों पानी भरो,खेतन तोउ किसान।
न्योरें न्योरें नींद रव, घरवारी सॅंग धान।।
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-आशा रिछारिया,निवाड़ी
*17*
खुशी रहत ते जे झुके, न्योरे ते ना छोट।
दूब नरम नीची रहै, हरी -भरी बिन खोट।।
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-रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट
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