*150 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150*
*दोहा प्रदत्त शब्द-भुन्नाने /भुन्नानें (क्रोधित)🌹
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
भन्नानें नइँयाँ कभउँ,जीवन भर दव प्यार।
हे ईसुर सबखों दिऔ, मोरे-से भरतार।।
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-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*2*
भन्नानें फरसा लयें, परसराम महराज।
शिव धनु टौरौ कौन नें,हमें बताओ आज।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*3*
भन्नाने से तुम फिरो , ई में काहै सार ।
चित्त शान्त अपनों करो ,बांटो जी भर प्यार ।।
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- डॉ. बी.एस.रिछारिता, छतरपुर
*4*
भन्नानें मोरे बालमा, टाठी दीनीं फैंक।
बातैं पाछूँ कर लिये, पैलाँ रोटी सैंक।।
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-प्रदीप खरे 'मंजुल' टीकमगढ़
*5*
सँइयाँ भन्नाने फिरत,सुनैं न कोनउ बात ।
बोलें गटा निपोरकैं,मौड़न सैं चिच्यात ।।
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-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नदनवारा
*6*
भंन्नानें श्री राम जी , धरे धनुष पै बान ।
समुद आन चरनन परे,चूर भऔ अभिमान।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*7*
भुन्नाने बैठे पिया , भुन्सारे से दोर |
बात समझ ना आ रई , गोरी करे निहोर ||
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-सुभाष सिंघई , जतारा
*8*
मस्तानी कलियाँ ख़िलीं, फूलीं नईं समात।
भन्नाने भौरा फिरें, कलन-कलन मड़रात।।
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-एस.आर. 'सरल', टीकमगढ़
*9*
राम लखन सीता सहित, गये हते वनवास।
अपनी माता पर भरत, भन्नाने ते खास।।
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-रामानन्द पाठक नंद, नैगुवां
*10*
भन्नाने तुम हो फिरत, करते तनिक विचार।
खुद ने खुद गलती करी, होते काय किनार।।
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-मूरत सिंह यादव, दतिया
*11*
भुन्नाने से बै फिरत, खात नईं बै कौर।
राम भरोसें दिन कटत,राते नइयाँ ठौर ।।
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- श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
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*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*