#बुन्देली_दोहा_प्रतियोगिता--190 *(निःशुल्क*)*
##दिनांक-16-11-2024
*बिषय- जलघरा (पानी रखने का स्थान)
[16/11, 1:08 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा ( जलघरा )
(१)
आँगन में तुलसीघरा , कुइया हो पनयार।
भरौ रबै जाॅं जलघरा , बौ घर रत गुलजार।।
(२)
कितउॅं घिनोंची हैं कहत ,कितउॅं जलघरा कात।
भरी गगरिया देख मन , पानी खौं ललचात।।
(३)
बहू जलघरा में गई , भरकैं गगरी नाद।
ननद बाइ करबे लगीं , हैं पानी बरबाद।।
(४)
धरी जलघरा में हती , बोंगी गगरी एक।
देखैं असगुन होत है , दई सास नें फेक।।
(५)
चिमनी झाबा जलभरा , टपरा दुगइ अटाइ।
हिरा गये "नादान" सब ,अब नइॅं देत दिखाइ।।
आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुरी
( स्वरचित ) 16/112024
[16/11, 1:17 PM] Subhash Singhai Jatara: विषय - जलघरा
बुंदेली में जलघरा , भैया ऊखौं कात |
पानी मुलकन जित रखें , निस्तारी में लात ||
घुसत जलघरा में लगे , ठंडी हमें बयार |
नमी थथोलत ही मिले, जौन दिखै दीवार ||
माटी के दिखबैं घड़ा , गड़ी डारिया हौय |
कुंडी और कसेड़िया , मिलें जलघरा सौय ||
ब्याय वरातन जलघरा , ढीमर भरबै आत |
पानी रत तब लबलबा , पीबै जब हम जात ||
गरमी कौ मइना रयै , निकट जलघरा जाँय |
तन खौं शीतलता मिले , अपनी प्यास बुझाँय ||
सुभाष सिंघई
[16/11, 3:49 PM] Taruna khare Jabalpur: 'जलघरा' शब्द पर दोहे
जानत नैंयां जलघरा,गुंड कसैंड़ी थार।
मौड़ा मौड़ी आज के, मोबाइल के यार।।
धरत गघरिया लैन सैं,पानी को स्थान।
बेई कात ते जलघरा,सुनो लगा खैं ध्यान।।
अब आरो के दौर मै,भूल गए जा बात।
कैसे रत ते जलघरा, बब्बा हमै बतात।।
छप्पर के नैचे जहां,लगत हतो नै घाम।
पानी भरखैं रखत ते,दओ जलघरा नाम।।
तरुणा खरे जबलपुर
🙏🙏
[16/11, 4:30 PM] Asha Richhariya Niwari: दोहा दिवस दिनांक 16.11.2024
जलघरा
🌹
बखरी करकें जलघरा,वरुण देव कौ वास।
माटी की गगरीं धरीं, ऐंन मिटावें प्यास। ।
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कछु माटी के हैं घड़ा,कछु पीतर की धात।
चम चम चमके जलघरा,नोनो तबइ सुहात।।
🌹
घुसीं जलघरा छिपकलीं, एनई ठंडक पांय ।
लरका बारे देख कें,डरपत लिंगा न जांय। ।
🌹
अब कां रै गय जलघरा,भूली नईं जमात।
आरो को पानी पिये,फ्रिज की बरफें खात।।
🌹
आशा रिछारिया 🌹🙏🏿🌹
[16/11, 5:06 PM] Rajeev Namdeo: *बुंदेली दोहा विषय - जलघरा*
अब काँ रै गय जलघरा,पानी के भंडार।
बोरिंग वारे घर बनें, #राना टोंटी दार।।
देखे #राना जलघरा, लामै चौड़े हौत।
पानी के बरतन भरे,सासउँ राबैं भौत।।
घर कौ देखो जलघरा, #राना रबै सशीत।
घुसतन ही नौनों लगै ,गरमी लइ है जीत।।
डबला मटका डारियाँ,हौदीं पानी होय।
उयै कात है जलघरा,#राना जानों सोय।।
पानी सब निस्तार कौ,मिलत जलघरा आन।
#राना घर की जानियौ ,है यह पूरी शान।।
*** दिनांक -16-11-2024
*✍️ राजीव नामदेव"राना लिधौरी"*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक-'अनुश्रुति'त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
[16/11, 5:08 PM] Hariom Shriwatava Bhopal: शनिवार, दिनांक - 16.11.24
*बुंदेली दोहा* :: विषय - *जलघरा*
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1-
जामें रत हैं गागरैं, मटका भरौ अचार।
बाखौं कैलो जलघरा, या जल कौ भण्डार।।
2-
बइसै कैलो जलघरा, बौइ घिनौची आय।
बामैं राखें स्वच्छता, हती बढ़िन की राय।।
3-
द्वारें बरिया नीम हो, बैल बँदे हों चार।
भीतर होबै जलघरा, पीछें बेड़ा सार।।
4-
आँगन में तुलसीघरा, और जलघरा एक।
घर-घर पेड़े नीम के, पैलें हते अनेक।।
5-
जूठे हातन गागरैं, छी न सकततौ कोउ।
जब जानै है जलघरा, तभँइँ हाथ-मौं धोउ।।
*हरिओमश्रीवास्तव*
भोपाल, म.प्र.
[16/11, 6:08 PM] Ramanand Pathak Negua: दोहा बुन्देली
बिषय जलघरा
1
घर में जल धरबें जितै, कबैं जलघरा लोग।
बायुकोंण में शुद्ध रत, सई बताते योग।
2
जल भर बासन जाँ धरे, उयै घिनौंची कात।
अब टंकी छत पै धरी, काँ जलघरा पुसात।
3
पूजा घर उर जलघरा, हैं पवित्र इस्थान।
घर में जो औलट रहें, ना पोंचे अनजान।
4
घर में जाँ हो जलघरा, हरदम ठंडक राय।
एक घरी मइँ बैठ लो, तन सीतल हो जाय।
5
हौद जलघरा में बडौ, पानी बनत बिलात।
एक दिना पूरौ भरौ, चार दिना चल जात।
रामानन्द पाठक नन्द
[16/11, 6:10 PM] S R Saral Tikamgarh: बुन्देली दोहा विषय -जलघरा
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कमइँ लोग देहात में,
इयें जलघरा कात।
कवै घिनौची एइखौ,
अपढ़ा लोग बिलात।।
देहातन के जलघरा,
होतइ बड़े बिचित्र।
तुलसी मरुआँ सै अँगन,
महकें जैसे इत्र।।
पनियाँ खौ बेला चली,
मटकत झोका खात।
खेप धरें हैं मूड़ पै ,
धरन जलघरा जात।।
गगरी घेला घेलिया,
धर टेड़ी भइ घीच।
खैच कुआ सै लाइँ हैं,
धरें जलघरा बीच।।
*सरल* पैल के जलघरा,
सपनन आज दिखायँ।
बचपन की किलकारियाँ,
दिन पै दिन गुरयायँ।।
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एस आर सरल
टीकमगढ़
[16/11, 6:24 PM] Aamil habibi Chatarpur: बुन्देली दोहा
विषय -जलघरा
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हम का चीनें जलघरा,तख्ती और सिलेट
फिल्टर कौ पानूं पियत,हम हैं अप-टू-डेट
दादी की अंगनाइ में,हते जलघरा चार
चिरा चिरइया जौन पैं,मचकत ते हर बार
बड्डे बड्डे जलघरा, छोटे-छोटे हांत
पानूं लय में फोड़ दय,और दिखा दय दांत
आमिल हबीबी
छतरपुर म०प्र०
[16/11, 8:41 PM] Pramod Mishra Baldevgarh: ,,बुन्देली दोहा विषय ,, जलघरा ,,
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जल धरवै खौं जलघरा , घर-घर में बनवाव ।
शंकर जी तुलसी घरा , को निरमान कराव ।।
पैल होत ते जलघरा , गगरी डबला ल्याय ।
गुन्ड कसैंडी़ जल भरें , दय ऊमें धरवाय ।।
धरी जलघरा में कुनइँ , ऐंते की गुड़याय ।
ऊपै गगरी मटकिया , कभौं लुढ़क नइँ पाय ।।
धनियाँ कावै जलघरा , अब "प्रमोद"बनवाव ।
फिर विदाइँ को सुतकरा , दद्दा लो पठवाव ।।
घर में हो तुलसीघरा , शौंचालय घरवाइ ।
रुटयाघर लो जलघरा , बनें "प्रमोद"सहाइ ।।
धना जलघरा में घुसीं , कडी़ ऐन चिल्लात ।
बोली तको "प्रमोद"तुम , नोरा पिडो़ दिखात ।।
साँप मिदरिया लीलकें , घर में आव "प्रमोद" ।
जो लो मेंने लठ्ठ लव , भगो जलघरा कोद ।।
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,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ मध्य प्रदेश ,,
,, स्वरचित मौलिक ,,
[16/11, 9:07 PM] Rajeev Namdeo: *बुन्देली दोहा प्रतियोगिता - 190वीं* दिनांक+16.11.2024
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
प्रदत्त शब्द- *जलघरा*
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
मड़ा अटारी जलघरा, ना हाँती सीं पौर।
ना अँगना तुलसी बचीं, मिटे चौंतरा ठौर।।
***
-संजय श्रीवास्तव,मवई( दिल्ली)
*2*
गओ जमानो पैलको,अब फिज घरमें आव।
हिरा गए सब जलघरा,कोउ लेतना नाव।।
***
- एम.एल. त्यागी,खरगापुर
*3*
गड़ी डारियाँ जल भरीं,धरे कसेड़ी गुंड।
कयैं जलघरा ओइ खौं,पानू जितै प्रचंड।।
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*4*
घरन - घरन में जलघरा,घरन- घरन में पौर।
नये घरन में नइं मिले, कैसो आ गव दौर।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव(झांसी)
*5*
बने जलघरा तीन हैं , आंगन के उस छोर।
उतइ पियत पानी सबइ , दुपर शाम उर भोर।।
***
- वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़
*6*
धनियाँ कैरइँ जलघरा , शौंचालय बनवाँव ।
फिर बनवाँ तुलसीघरा , हमें लुआवे आव ।।
***
- प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*7*
अन्न अगन जल कौ सदा, घर में रैबै बास।
जे पहरे हैं तीन सो, होत जलघरा खास।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां
*8*
जबै रात ते जलघरा, पानी धरैं सहेज।
झूठे मुंह नै छुअत ते,हतो बड़ौ परहेज।।
***
-तरुणा खरे जबलपुर
*9*
रबै लबालब जलघरा,कुठिया भर हो नाज।
मन में हो संतोष तौ, फीकौ जग कौ राज।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*10*
शोभा देत अटाइ जब , आँगें हो दालान।
बिना रसोई जलघरा , ऊॅंनों लगत मकान।।
***
आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
*11*
मटका धर दय जलघरा, बूंद बूंद रिसयांय।
चिरइ चैनुआ प्रेम सें ,अपनी प्यास बुझांंय।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*12*
कउँ - कउँ काबें जलघरा,कितउँ घिनौची कात।
दिखत न शहरन में कहूँ, गाँवन में मिल जात।।
***
-अमर सिंह राय, नौगांव
*13*
पानी भौत जरूरी चाने हर बखरी के अंदर।
मानो तो जल घरा होत है गंगा जी कौ मंदर।।
***
- लखन लाल यादव, बुढ़ेरा
*14*
बाखर ड्योढ़ी जलघरा, पौर अटा दालान।
जामें हों जे सब बने, अच्छौ बौइ मकान।।
***
-हरिओम श्रीवास्तव,भोपाल
*15*
घरै हमारे जलघरा,भरौ रात दिन रैन ।
जल घाँई धन सम्पदा,सबके घर हो ऐंन ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*16*
सुद्ध जगा हो जलघरा, मचवै कभउँ न कीच।
गंदे जल सें रोग हों, पिओ न आँखन मीच।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा
*17*
पौर बैठका जलघरा, छपरी दुगइ उसार।
बाखर की शोभा हते, आँगन बेड़ा सार।।
***
-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
*18*
बच्चा जूठें ना छुयें,अक्कल खूब लगाइ।
बना जलघरा ऊपरें, पानी धरतीं बाइ।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निवाड़ी
*19*
कितै बिला गए "जलघरा",कां खो गइ दल्लान।
"आरो"कौ पानूं पियत,डुकरा और ज्वान।।
***
आमिल हबीबी, छतरपुर
*20*
बिन तुलसी बिन जलघरा,बखरी नईं सुहाय।
बखरी में कौ जलघरा,सबकी प्यास बुझाय।।
***
- एस आर सरल टीकमगढ़
शनिवार 16 नवम्बर 2024
दोहा शब्द -जलघरा
1
इकदिन मैने जलघरा,जूंठें छीलव यार।
उठा लबुदिया बापने,मारी हनकें मार।
2
कभउं काउके जलघरा,छूना पाए अन्य।
होत जलघरनकी हती,पैल भौतआकन्न।
3
गओ जमानो पैलको,अब फिज घरमें आव।
हिरा गए सब जलघरा,कोउ लेतना नाव।
4
होत जलघरा हतेते ,घरन घरनमें ऐन।
अब ढूंडेसे मिलतना,कितउं तको ओबैन।
5
बरन-बरन के लजघरा,बना लेतते लोग।
कच्चे पक्के काठके,जोन हते जो जोग।
🌹मौलिक रचना 🌹
एम एल त्यागी खरगापुर
*-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
(संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)
मोबाइल- 9893520965
संयोजक/एडमिन- #राजीव_नामदेव '#राना_लिधौरी', टीकमगढ़
आयोजक- #जय_बुंदेली_साहित्य_समूह_टीकमगढ़
#Jai_Bundeli_sahitya_samoh_Tikamgarh
#Rajeev_Namdeo #Rana_lidhorI #Tikamgarh
मोबाइल नंबर-9893520965