149 वीं *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-149*
संयोजक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
*प्रदत्त शब्द-कुजानें (क्या पता)*
दिनांक- 27/01/2024
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
कौन सौत जादू करे, जानें कीनौं जात।
कान कुजानें को भरे,करे न सूदें बात।।
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-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*2*
बिटिया बारे के घरै, लरका की पक्यात।
चलो कुजानें का चला, हमखों नईं पुसात।।
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-अमर सिंह राय, नौगांव
*3*
इतै कुजाने आय तुम , धर गुदनारी रूप |
राधा कै रइ कृष्ण से , तुम छलियन के भूप ||
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-सुभाष सिंघई, जतारा
*4*
पीलो प्यारे राम रस,खूब करौ आँनंद।
कबै कुजानें की घरी,साॅंसें होजैं बंद।।
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-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
*5*
गये कुजाने श्याम कित, इत उत ढूंड़त नैन।
भूख प्यास भूली सखी, मनुआ है बेचैन।।
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-आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी
*6*
मिली कुजाने नें मिली, प्यारे जा नर देह।
साजी धरकें गैल जा,लगा हरी सें नेह।।
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- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*7*
कुठिया में लौ ढूँढ़कैं,हो गव मैं हैरान ।
धरी कुजानै वा रपट,हो गइ वो अनजान ।।
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-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
*8*
आज कुजाने का भओ, लग नें पाए नैन।
खुटको रातें रव लगत, सो नें पाओ रैन।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*9*
रनै कुजानें कै दिना, शीत लहर की ठंड।
धुंध लगौ भुनसाय सै, भौड़ा परौ मुचंड।।
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एस आर सरल , टीकमगढ़
*10*
अगर कुजाने और कइ , घलें तमाचा चार।
सोच समझ कें बोलिऔ , खुद में करौ सुधार।।
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- वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*11*
राम कुजाने क्याँयँ गय , जनता तकें चकौट ।
रथ रघुवर दीखैं नही , प्रजा आइ घर लौट ।।
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- प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*12*
आज कुजानें का भऔ,कल तौ हतो बसंत।
खाबे दौरत है महल, सोसत जात सुमंत।।
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-रामानन्द पाठक 'नन्द', नैगुवाँ
*13*
सदियन सें लूटो इनै, चूँसे सबनें प्रान।
कुजनै दिन फिरनै कबै, हँस पै कबै किसान ।।
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-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
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*संयोजक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़