*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 135*
प्रदत्त शब्द -दच्च दिनांक-20-10-2023
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
बड़े बाप के पूत हों , होंय अकल के गच्च ।
मान पान धन की उनें, लगत हमेशा दच्च।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*2*
दच्च किसानी में लगी,पर गव सूका काल।
बिटिया बैठी व्याव खों,कठन परी जा साल ।।
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-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*3*
लगने दच्च चुनाव में , फिरी डारने वोट ।
सरपंची में लय हते ,तीन हरीरे नोट ।।
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-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*4*
जीवन रूपी नाव में,लगत अनेकों दच्च।
राम भजन सें पार कर,सीख बोलबौ सच्च।।
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-भगवान सिंह लोधी,हटा
*5*
दे रये दच्च दुआंय पे, दावत को लंय दांव।
राजनीति की बात कै, जीतें चात चुनाव।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव, झांसी
*6*
लबरा लम्पट लालची , चमचा आबै दोर |
दच्च इनइँ से है लगत, चिपकै संगै चोर ||
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-सुभाष सिंघई , जतारा
*7*
बे मौसम बरसात नें, दै दइ दच्च बिलात।
बिटिया बैठी ब्याव खाँ,टेरें साव चिमात।।
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-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवा
*8*
जिनखाँ दै-दै कें मदद,हमनें करो सपच्च।
बे चैंथी में काट कें, दै गय कर्री दच्च।।
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-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*9*
लगै दच्च पै दच्च जो ,हो भौतई नुकसान ।
अपनें मन में जान लो,खुश नइयां भगवान ।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*10*
मेघनाद को सुन मरन, खाकें रै गव गच्च।
कर बिलाप रावन कहत, कैसें सै लउँ दच्च।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*11*
डुकरो बैठीं पौर में ,मूड़ पकर कैं रौयँ ।
लाखन की जा दच्च परी, कैसें सूदे हौयँ ।।
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-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
*12*
दच्च कछू ऐसी लगी,उठ गओ है विश्वास।
अपने अपने ना रहे,गैरन सें का आस।।
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-आशा रिछारिया (निवाड़ी)
*13*
हीरा सी नोंनी घरी,जब सोंनें की आइ।
एक दच्च यैसी लगी,रनबन भई कमाइ।।
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- डां देवदत्त द्विवेदी ,बडामलेहरा
*14*
रो रय बे हैं काल सें , दूनौ भव नुकसान।
ऐसी दच्च तौ कोउ खों , न लगबै भगवान।।
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-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*15*
पंगत खा लइ हूँक कें, भई पेट में गच्च।
पइसा लगे इलाज में, कर्री लग गइ दच्च।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
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