*बुंदेली दोहा प्रतियोगी-151*
दिनांक 13.1.2024
*प्रदत्त विषय:-लुगया*
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
यारों ई कलिकाल में, कैसें पाहौ पार।।
भीष्म पितामह की सुनो, गयॅं लुगया सें हार।।
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-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*2*
लुगया लुगवन खाँ बृथाँ, नैं करिऔ बदनाम।
ब्याव-काज में बे करत,हरय-गरय सब काम।।
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-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी,बुढ़ेरा
*3* *(प्रथम स्थान प्राप्त दोहा)*
लुगया की लीला लखैं,सुनौं सबहिं गरयात।
लपर-लपर रोजउँ करैं,ललियन सैं बतयात।।
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-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*4*
लटक मटक चालें चलें,जनियन बैठें आन।
सारहीन बतकाव है,लुगयन की पहचान। ।
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-आशा रिछारिया जिला निवाडी
*5
लुगया की जो बात में , आकर कै फँस जात |
कारज में शंका रयै , खट्टौ भी बौ खात ||
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-सुभाष सिंघई,जतारा
*6* *(द्वितीय स्थान प्राप्त दोहा)*
लुक लुकात घूमें फिरे, जो नर नारी बीच।
लुगया ऊखों जानियो, करै बीच में कीच।।
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-संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)
*7*
बैठें रोज लुगान नौं,लुगया उनसैं कात ।
मनसा सैं वे साफ रत,आदत बुरी बनात ।।
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-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*8*
दूषित करबै में जुरौ,चिंतन और चरित्र।
लुगया खों लूघर लगे, बनो लुगाइन मित्र।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*9*
जानें की के भाग सैं , जूज जात है जोग।
घरबारी रत आकरी , उर लुगया रत लोग।।
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-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*10*
लुगया की अब का कने, लुखरयात सो रात।
दिखै नरन के संग नइँ, बइरन बीच छुछात।।
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-अमर सिंह राय, नौगांव
*11*
लुगया,लटे,लचैलया,जे नें कभउँ अगायँ।
की के चूलें का चड़ो, घर-घर ढूंकत रायँ।।
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-डां. देवदत्त द्विवेदी,बड़ामलेहरा
*12*
लुगया सें लुगया कनें , तबइ समझ में आय।
चलौ सबइ ऊके घरै , उतइ पियें हम चाय।।
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-वीरेन्द चंसौरिया,टीकमगढ़
*13* *(तृतीय स्थान प्राप्त दोहा)*
जो नर लुगया होत हैं,धरबें रुप अनूप।
हुरें औरतन के लिगाँ, तापें लेवें धूप।।
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-रामानंद पाठक,नैगुवां
*14*
लुगया सें सब हैं चिड़त, लुगया कौ जौ हाल।
लुगया डरत लुगाइ सें, खूब दिखावै चाल।।
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- अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
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*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़