*155वीं बुंदेली दोहा प्रतियोगिता*
दिनांक 16.3.2024
प्रदत्त शब्द *कूत*
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
राम नाम के जपे सें,भव सें बेड़ा पार।
कूत परत बिलकुल नहीं,छूट जात संसार।।
***
-मूरत सिंह यादव, दतिया
*2*
अभिमंत्रित पांसे रहे,पांडव परो न कूत।
शकुनी ने चालें चली,कौरव जीते द्यूत।।
***
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*3*
जगत पिता हैं राम जी , मैं हौं उनकौ दूत ।
बापिस दैदो जानकी ,नइॅंतर पर जै कूत ।।
***
आशाराम वर्मा "नादान "पृथ्वीपुर
*4*
एक पांव से सब फिरे,सुमिर-सुमिर हरि नाम।
कूत परौ जब ब्याव को,सामू आओ काम।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*5*
बिना कूत ना डारियौ,कितउँ कभउँ भी हात।
कर्री बीदत गाँस है,निपटानै खुद आत।।
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
नारद मुनि नें मोह बस, माँगो रूप अनूप।
कूत परो जब बिष्नु नें,दव बँदरा कौ रूप।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां
*7*
भोले की बारात कौ,कछू परै नें कूत।
देवतन के संगे नचें,खब्बीसा अरु भूत।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*8*
गय सीता खों ढूँड़वे, खुदइँ राम के दूत।
लंका बारी पूँछ सें, पर गव सबखों कूत।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*9*
कूत कूतकेँ साव नै , लूटो दिन्ना रात ।
भूँखन मरें किसान कै , कीसेँ करें फिरात ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बलदेवगढ़
*10*
कुतका सैं मारे सुनौं, आजकाल के भूत।
शातिर जिनकी खोपड़ी,नाहीं इनखौं कूत।।
***
- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*11*
जो चुनांव में हारजै,परबै ऊखों कूत।
सबरौ खर्चा जोर कें ,दै उन्नन में मूत।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*12*
कर्जा लओ तो सेठ सें,महंगों लग गओ सूत।
जब चुकावे हम गये,फिर परो हमें कूत।।
***
-विद्धा शरण खरे, नौगांव
*13*
होरी के रंगे सबइ, परत नईंयाँ कूत।
कौ लगा गओ रंग जो, जगा गओ सब भूत।।
***
श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*14*
जिनके अंतस में भरो,कूत खांड़ कौ सार।
चली जाँय सब गाड़रें,जाबै नें टिटकार।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मेहरा
*15*
लंका पै डंका बजौ, पिया तुमै का कूत।
रनबन की लंका करी,आय राम के दूत।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
*16*
लैबे आ हैं पारसद, कै आ हैं जमदूत।
गुन-औगुन निज कूत लो,सो पर जैहै कूत।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*17*
ऐरे गैरे कूत लो ,करौ नेह भरपूर ।
ऐक न इक वीदी रवै,करते रवै कसूर।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
##########@@@@@########