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क्राइम

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पिछले अध्यायों में हमने पढ़ा झारखंड के एमएलए बेटी, शिखा की शादी की तैयारियां चल रही है, शिखा की कॉलेज फ्रेंड मौलि भी शिखा की शादी में आई हुई है और मौलि के आने से शिखा की खुशी का ठिकाना नहीं है | शिखा

यह कहानी पाकिस्तान की एक सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए हैं ।  सुलेमान काम से लौटा ही था कि हाथ मुंह धोने चला गया । उसकी पत्नी फरीदा ने उसका खाना लगा दिया था । वह खाना खाने बैठ ग

उसी हालत में वह मुझे छोड़ कर पौ फटने से पहले ही भाग गया। मॉर्निंग वॉक के लिए आने वाली आंखें मुझे घूर घूर कर देखने लगीं।शायद किसी को मुझ पर तरस आ गया होगा तो वह भला मानुष कुछ लोग की मदद से मुझे उठा, ऑट

वहां पार्क में बेंच पर बैठी बैठी मैं बहुत देर तक सोचती रही। जीवन, कैसे मोड़ पर उसे ले आया है।कितनी ही तरह की बातों को सोचते हुए मेरे मन में विचारों का आवेग होने से बहुत देर तक उसे नींद नहीं आई। पार्क

अपुन भी पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थी। पर यह जो है ना पापी पेट(थोड़ा रुक कर) अपने पेट पर हाथ रखते हुए बोली ना जाने क्या-क्या काम करवाता है।पेट के लिए जरूरी तो नहीं हर कोई यही काम करें? करने को और भी तो

अब तक कहानी में आपने पढ़ा के किस तरह से, सार्थक में घुसे मंदार ने मौत का खेल खेला, किस तरह से उसने चार लोगो की हत्या कर दी इसे हत्या नहीं दरिंदगी कहना ठीक होगा वो तो उन मासूम लोगो को जिनको यह भी जान का

वो चेहरा और उसके पीछे की कहानी जाने के लिए मेरा मन उकताने लगा। ना जाने क्यों उसके चेहरे के पीछे मुझे एक अनजाना सा दर्द महसूस होने लगा था।तय किया मुझे उससे मिलना ही पड़ेगा। फिर मेरे कागज़, कलम भी तो कि

सखि, आज तो गुरू की हवा बहुत टाइट है । बहुत कहता था "ठोको ताली" । आज जनता कह रही है "ठोको ताली" । आम और खास का अंतर एक बार फिर से दिखाई दिया न्यायालय के फैसले में । बात सन 1988 की है । "गुरू"

आज की कहानी लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। यह मेरी सोच से भी परे था, कि मानव अपने लालच , हवस, पैसों, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, कितने नीचे गिर सकता है। क्या आज के समाज में रिश्तो से ज्यादा मान

ग्राहक की आशा में खड़ी उस लड़की को जब कुछ और देर इंतजार करने के बाद भी कोई ग्राहक नहीं मिला तो वह दूर खड़ी मेरी गाड़ी को देख इसी तरफ बढ़ने लगी।मेरी गाड़ी के दाहिने तरफ आकर उसने खिड़की को खटखटाया। उसे

बाहर हल्की हल्की बारीश हो रही थी. इस मौसम में चाय का प्याला देखकर इस्पेक्टर मनोज के चेहरे पर ताजगी का भाव आ गया और वे आराम से चाय का आनंद लेने लगे. उसी वक्त लगभग 35-40 वर्ष के एक व्यक्ति ने थाने में प

पहले जहाँ एक ही विधालय में कई महीने एक साथ पढाई करने के बावजूद एक – दुसरे से दोस्ती नही हो पाती थी और वही  आजकल के युवा मात्र एक मिनट के facebook जैसे social site पर चैट कर लेने से ही सात जन्मो की दोस

 आसमां छूने का स्वप्न कौन नही देखता ? अपने जीवन में आगे बढ़ना कौन नही चाहता हैं ? सभी अपने लाइफ में लगातार सफलता के सीढियाँ चढ़ना चाहता हैं . हर कोई पैसे के पीछे भागता हैं .            मुझे भी सभी लोगो

इन हाथों से ना जाने मैंने कितने लोगों के ऑपरेशन किए होंगे ।अगर उन सारी मरीजों की डिटेल्स लिखता तो आज कई मोटी-मोटी डायरियों का पुस्तकालय बन गया होता, इतने मरीजों के ऑपरेशन करने के बावजूद आज तक मैं किसी

सायरा को पार्टियों का बड़ा चस्का था । खाने की बहुत शौकीन थी सायरा । अल्लाह ने क्या नहीं दिया सायरा को ? हुस्न बेशुमार । जैसे अल्लाह ने ठान लिया था कि दुनिया भर का हुस्न बस सायरा पर ही लुटाना है । उसकी

राजस्थान का बहुचर्चित स्कैंडल जिसने राजनीति में भूचाल ला दिया । कई खानदानों को मटियामेट कर दिया और सत्ता तथा सेक्स के गठबंधन को सार्वजनिक कर दिया । तो आज आपको यह बहुचर्चित किस्सा सुनाते हैं  । घट

नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी दूसरी क़िश्त )इंन्सपेक्टर गौतम से यह सुनकर मोहन नगर थाने का इंचार्ज आश्चर्य चकित रह गया । उसने तीनों सिपाहियों से इस बात की तसदीक करना चाहा । तो उसका संपर्क सिर्फ़ उदयभा

"प्यार का बुखार"  प्यार एक ऐसा बीमारी होता है जो कि अगर इंसान हो एक बार पकड़ ले तो वो जिंदगी भर तड़पता रहता है और इस बीमारी का इलाज भी नहीं है इस दुनिया में ।।लेकिन ये भगवान ने जो लड़की नामक

नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी प्रथम क़िश्त )रात के दस बज चुके थे । रोमनाथ एक सवारी को पुलगांव में उनके घर छोड़कर बैगा पारा स्थितअपने घर लौट रहा था । जैसे ही वह गंजपारा चौक पहुंचा सड़क किनारे खड़े एक श्

दिनांक 27.4.2022 की सत्य घटना है । झारखंड राज्य के लोहरदगा के कोतवाली थाने में एस एच ओ सुगंधा लोगों की शिकायतों पर कार्रवाई कर रही थी । अपराधियों की "सुंताई" चल रही थी । पूरा थाना अपने अपने काम में मश

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