गणेश शंकर विद्यार्थी अपने समय के जाने-माने पत्रकार थे। वह राष्ट्रीय एकता और आम आदमी के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे। उन दिनों उनके नगर कानपुर में कुछ शरारती तत्व शहर का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने पर लगे
वैंपायर, यानि रक्त पिपासू, डरावनी इनकी,स्टोरी धासू। क्या ये सच मे ,ही मौजूद है, सबूत तो है ,फिर ,, क्यू शक मौजूद है ? आप कहोगे सबूत दिखाए, तो चलिए ,कविता मे आए। वैंपायर हर शख्स है वो
प्यार और मोहब्बत के बीच में सारे अंतर सही होते है मगर एक अंतर ही बीच में गलत होता है और वो होता है धोका प्यार जब तक सही होता है तबतक सही है मगर जब प्यार और मोहब्बत के बीच मैं धोका आ जाता है तो एक
मैं सब कुछ देख पा रही थी। मेरे शरीर में उसके द्वारा पिलाएं जाने वाले शरबत के कारण कुछ ऐसा नशा हो गया था कि मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था।वह मेरे पास आ बैठा। उसने मेरे बंधे बालों को खोल दिए और बोला
मन बेचैन था। ऐसा क्या हुआ, जो वह मुझसे आज मिलने नहीं आई कुछ ऐसा वैसा तो...आशंका में मन न जाने कितना कुछ सोचने लगा। सोचते हुए ना जाने मैं कब नींद के आगोश में चला गया, पता ही नहीं चला।सुबह 5:00 बजे के अ
"माया" से कोई बच न पाया ,इस दुनिया मे जो भी आया !सब पर फैला इसका साया ,हर पल इसने सद्गुण खाया !यौवन भी इससे जीत न पाया,हो विरक्त या फिर गृहस्थ काया !कोई भी इसका पार न पाया,"माया" से कोई बच न पाया !!
( मन का डर ) अंतिम क़िश्त सुजाता का भाई सुनील पागलों सी हरकत करने लगा चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा कि मैं ही अपनी बहन का क़ातिल हूं । बहुत देर तक ऐसी ही पागलों सी हरकतें करने क
राघव को अंदर आता देख कर विधि और घबरा गई ,भागने का कोई रास्ता नहीं बचा उसके पास ,भाग भी नहीं सकती दर्द से कराह रही थी दो कदम चलना तो दूर खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी ......राघव पास आकर ,ओह म
उसने सुनील को मिलने के लिए कॉल किया तो सुनील कुमार रॉय ने मिलने के लिए दीदी को पहाड़ी के पीछे बुलायादीदी के पीछे पीछे मैं भी चल दिया,मुझे ये सब देख कर विश्वास नहीं हुआ ........उसने मेरी आंखों के सामने
राघव तुम्हारी महबूबा को तुमने हलाल क्यों नहीं किया ?उसे मेरी महबूबा नहीं विधि रॉय कहिए मेरे नौजवानों ।विधि का नशा झट से उतर गया ये सब सुन कर विधि ने कोशिश की उठने की तो खुद को लहूलुहान पाया .....
विधि नशे में बेहोश हो गई , उसे कुछ एहसास नहीं हुआ उसके साथ क्या हो रहा है?सुबह जब विधि की आंख खुली तो कुछ साफ नहीं दिख रहा था........पास में बहुत लोगों की आवाजें आ रही थी ,कोई कहता आज की रात तो जन्नत
दोनों बैठ कर खाना खाते हैं जस्ट चिल बेबीमैं तुम्हारी जान की आसानी से नहीं लूंगा तुम्हें तड़पा तड़पा कर मारूंगा........मेरी मोहब्बत में बोलकर प्यारी सी स्माइल दे दी ।विधि राघव की बाहों में जाकर लि
विधि की आंखों को अपने हाथ से दबाया और अंदर ले जाकर बेड पर बैठा दिया ।विधि मन ही मन , कुछ ठीक नहीं है मन बहुत घबरा रहा है ।राघव के फोन पर मैसेज आया राघव ने उसे इग्नोर कर दिया राघव के फोन पर बार-बार मैस
अच्छा जी मजाक नहीं मैं सीरियस हूंराघव बाबा हम कब मजाक कर रहे हैं, जब एक बार ये ज़िंदगी आपके हाथों में सौंप दी तो मौत से क्या डरनाजिंदगी आपकी है अब आप इसको जिए या फिर सांसे छीन लें इसमें मेरा बस क
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पत्रकारों पर कार्रवाई करने के लिए उतावले कुछ पुलिस वाले मन ही मन लड्डू खा रहे हैं'अटल बिहारी शर्मा-लखनऊ जब से सोशल मीडिया पर एक हेडिंग वायरल होने लगा है की फर्जी पत्रकारों पर होगा एक्शन।तब से जिन लोगो
( मन का डर ) कहानी चौथी क़िश्त। राजहार में यह बात बहुत तेज़ी से फ़ैल गई कि एक फ़ाइनेंस का डिप्टी मैनेजर यहीं के एक शिक्षिका से विवाह करने जा रहा है।भिलाई पोलिस को जब यह बात पत
( मन का डर ) कहानी तीसरी क़िश्त 2 महीनों बाद सुजाता कुछ नार्मल हुई तो स्कूळ जाना प्रारंभ किया । पर उन्होंने अपना ट्रान्सफ़र सेक्टर 8 स्कूळ से सेक्टर 5 के स्कूल करवा लिया था
( मन का डर ) कहानी दूसरी क़िश्त एक दिन सुजाता रिसाली मार्केट से वापस अपने घर आ रही थी तो वह रास्ते में एक लड़के से टकरा गई । फिर वह मांफ़ी मांगकर आगे बढने लगी । तब उस लड़के ने
सखि, आज का दिन झुलसती गर्मी में शीतलता लेकर आया है । एक दुर्दांत आतंकवादी जिसने पता नहीं कितने हिन्दुओं का नरसंहार किया है और न जाने कितनी बहन बेटियों के साथ दुष्कर्म किया है , उसे टेरर फंडिंग मा