धोखा ना देनातुझपे ऐतबार बहुत हैये दिल तुम्हारी चाहत कातलबगार बहुत हैतेरी सुरत न देखूँ तोकुछ दिखाई नहीं देती हैहम क्या करें तुझसे प्यार बहुत है।
मेरी आँखे तरस गयी है आपकीएक झलक पाने को .और आप हो कि दूज के चाँद बन गये हो✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
जिंदगी में कभी - कभी मुस्किलों का दौर ...इस तरह आता है . . .अभी एक से सम्भले भी नहीं होते है . . . कि दुसरा दस्तक दे देता है ....😔😥🙏🏻#संघर्षरिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
🌸💮🌷💗🌸💮🌷मुझसे और इस दुनिया से दूर ... तू नहीं जाना ...सब छोड़ जाए मुझे मगर ... तू नहीं छोड़ना ...साथी रे तेरे मेरे प्यार की है ... ये दुनियां दिवानी ...ऐसे ही नहीं हुई मसहूर ...हमारी प्रेम कहानी
इन आंखों👁 में बस गई हो तुम इस कदर 🥰इन ...आंखों में बस गई हो तुम इस कदर के चांद भी देखूँ,,,तो आए चेहरा तेरा नजर तेरे इश्क ने ...मेरा ऐसा हाल कर दिया ..तेरे ... इश्क ने मेरा ऐसा हाल कर
मेरी शेर - वो - शायरी भी तुम हो ... मेरी गजल भी तुम हो ...मेरी कविताओं में शामिल ...हर अल्फाज भी तुम हो ...मेरी कहानी हैं तुमसे ...मेरी कहानी में शामिल भी तुम हो ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिक
अंखियों के झरोंखों से ..👁️ तुम्हें सुबह - वो - शाम देखा करू ..मन में यहीं लगन लिएं ..तेरे आगे पिछे घुमा करू ..🖊️ रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
कभी - कभी तुम मेरे ख्यालों मेंकभी - कभी ...तुम मेरे ख्यालों में ...इस कदर समा जाते हो , कि मेरे होठों पर तनहाई के आलम में भी मुस्कुराहट तैर जाती है ...और उस आलम में आयी तेरी सारी यादेमैं&nbs
साथ कभी ना छोड़नामेरा हाथ थाम लो पियावादा जो है किया उसे हमेशा निभाना पियागर जो हो गई मुझसे कोईभूल से भी भूलउसे भूल समझ कर भूल जानाभूल से भी मुझको भूल ना जाना पियासाथ कभी ना छोड़नामेरा हाथ थाम लो
स्त्री सरल शब्दों में कहा जाए तो औरतजो एक अगरबत्ती की तरह हैजो अपने घर को भरपूर सुगंध देती हैमगर वक्त आने पर किसी को जला भी सकती है,औरत सरल शब्दों में कहा जाए तो नारीजो एक ज्योति कि तरह हैजो
हर एक औरत दुर्गा का ही रूप होती है, यदि आप उसका सम्मान करोगे, तो वह आपको आशीष देगी, यदि आप उसका अपमान करोगे, तो वह काली बन शीश भी काट लेगी,,, हर औरत गृह लक्ष्मी होती है, यदि आप उसको सम्मान दोगे,
एक देवी जितनी शक्ति होती है नारी के हर एक रूप में,पूजा ना कर सको तो कोई बात नहीं, सम्मान अवश्य करना।।
शीर्षक --माँ के भक्तों बिन मांगे भरती है तु झोली माँ,कोई न जाता है तेरे दर से खाली माँ,सदा तेरी दया यूँ ही बरसती रहे माँ,ऐसे ही अपनों भक्तों की टोली पर माँ।राहों के पत्थर को फूल बना देती है,मंझधा
माँ जगदम्बा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जिनकी उपासना हिन्दू समाज में प्राचीन काल से ही की जाती रही है। जीवन में शक्ति का होना जितना आवश्यक है उसके साथ-साथ उस शक्ति पर नियंत्रण रखने का गुण भी निता
Hello friendsशक्ति और उपासना पौराणिक समय से ही चली आ रही है । पहले के पूर्वज प्रकृति की उपासना करते थे फिर धीरे - धीरे मूर्तियों का प्रचलन हुआ । मनुष्य मूर्तियों की पूजा करने लगा । शक्ति और उपास
जिस प्रकार इंसान को ऊर्जा प्राप्त करने के लिये भोजन की आवश्यकता होती है व उसी भोजन को प्राप्त कर हमारे शरीर को शक्ति मिलती है ठीक उसी प्रकार प्रकृति को संचालन करने वाली शक्ति का नाम मां दु
🕉️ ॐ नमः चंडिकायै !! 🕉️ मेरे प्यारे अलबेले मित्रों ! बारम्बार नमन आपको 🙏🙏 🕉️ भक्ति शक्ति मुक्ति की देवी माता जगजननी की उपासना के प्रथम दिन मैं अपनी भजन गायन मंडली के साथ आपके समक्ष उपस्
अब तक आपने देखा जहां तक मैंने सुना और देखा भी है , कि न्यू ब्राइडल डरी -सहमी सी रहती है और शरमाती भी हैं , अपने नये घर में , नये लोगों से मिलकर । यहां तक
अंतर्मन को निर्मल करके,मानव का रूप पहचान करो।व्रत धारण कर मानव रक्षा का,मानव बनकर अहसान करो।शक्ति तेरे अंदर कितनी ,यह पता नहीं तुझको मानव।तू ईश्वर का रूप निराला,इसे पहचान अंध मानव।।भक्ति और साधना से ,