क्यों दूजे के काम में, सदा अड़ाय टांग, एक दिन ऐसा आयेगा, खुल जायेगा स्वाँग । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
समय का मोती पास था, काहे दिया गँवाय, काहे का रोना-पीटना, अब काहे पछताए । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
चलते चलते थक गए, ले लो थोड़ा विश्राम, एक अनवरत प्रक्रिया, ख़त्म न होते काम । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
माता-पिता और बड़ों की बातें, समझो आशीर्वाद, बीते समय के साथ में, बहुत आयेंगे याद । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
पिता पुत्र को टोंकता, यह कीजो वह नाय, अपनी गलती के सबक, बेटे को समझाय। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
सोया, खाया, करता रहा, अमूल्य समय बर्बाद, अस बालक सूखे तरु, चाहे जो डालो फिर खाद। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
चैन दिवस का उड़ गया, उड़ी रात की नींद, ऐसे बालक से रखो, आगे बढ़ने की उम्मीद । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
कभी अघाया न थका, देते तुम्हें मन की पीर, छह गज राखो फ़ासला, जाओ न उसके तीर । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
जो विपत्ति में साथ दे, उसे नहीं बिसराओ, काँधे से काँधा दो मिला, जब भी मौका पाओ। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
जो जन समय निकाल ले, आपकी खातिर आज, उसको कभी न भूलियो, उसको रखियो याद । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
समय बड़ा बलवान है, देत पटखनी जोर, कभी ग़रीब की आँख का, नहीं भिगोना कोर । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
जात-पात देखो नहीं, न मजहब, पंथ या धर्म, प्रत्याशी को वोट दो, देख के उसके कर्म । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
जात-पात की बात जो, देता रोज बताय, उस पर झाड़ू फेर दो, कितना भी बहकाय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
षड्यंत्रों को जो बुने बस, पाने को सत्ता राज, सही वक़्त मतदान का, उन्हें ठोंक दो आज । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
काम न आया गर कभी, दूर रखा हो विकास, अस जब पहुँचे आप तक, मत कीजो विश्वास । (C)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
गुप्तदान की महिमा बड़ी, जन्म सुफल हुई जाय, मन रखियो चुपचाप सब, जब मत दीजो जाय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
देश के हित को देखना, जब करना मतदान, कितना पानी दूध है कितना, सर्प नेवला जान । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
जिस नेता के काज गलत, जिसकी नीयत में खोट, पक्ष-विपक्ष न देखिये, दीजो वोट की चोट । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
लोकतंत्र सबसे बड़ा, सबसे बड़ा चुनाव, मताधिकार का मान रख, सब पहुँचो अपने गाँव । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
प्रचलन दुष्टों का बढ़ा, बढ़ता कलियुग आज, सीधा-सरल और सादगी, बन बैठे अपराध । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"