मिलेगी हमारी नज़र धीरे धीरे,
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे ।
जल्दी बहुत है कि सब कुछ पा जाएं,
बजता मगर है गजर*1 धीरे धीरे।
बिखर जाते अरमां पलों में यहां पर,
मुश्किल से होती बसर धीरे धीरे ।
आंखों में नमी औ लबों पे हंसी है,
ज़मींदोज़2 होगा शजर*3 धीरे धीरे।
नहीं कोई हस्ती 'कमल' की जहां में,
पूरी करूंगा कसर धीरे धीरे।
*1गजर=समय-समय पर बजने वाला घंटा/घड़ियाल*2ज़मींदोज़= भूमि पर गिरना*3शजर=वृक्ष ; दरख़्त
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